नई दिल्ली। शादी और धर्म को लेकर अक्सर बातें सुनने में आ जाती है जब केस और कानून बीच में आ जाते है। अगर कानून बीच में ना आए तो घर-परिवार वाले फालतू के हंगामा करने लगते है। अब कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला आ गया है, और इस फैसले मे कहा गया है कि अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन करने के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
शादी को लेकर हाईकोर्ट का फैसला
अपनी पसंद से शादी करना या धर्म परिवर्तन करना एक बड़ी बात थी, कभी घर वालें तो कभी कानून इसको लेकर बहुत ज्यादा केस और कहासुनी करते थे। पर अब ऐसा कुछ नहीं होगा। अब कोई भी इस मामले के बीच में नहीं आएगा। कोलकाता उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई वयस्क लड़की अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन करती है, तो इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि अगर कोई वयस्क अपनी पसंद से शादी करती है और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है या अपने पिता के घर लौटने से इनकार कर देती है, तो ऐसे मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
अदालत ने एक पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उसने दावा किया था कि उसकी बेटी को दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के लिए अनुचित रूप से प्रभावित किया गया है।याचिकाकर्ता ने अपनी 19 वर्षीय बेटी के अपनी पसंद के एक व्यक्ति से शादी करने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर कर शिकायत की थी।
पिता द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने युवती को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। युवती ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है।