नई दिल्ली। शुक्रवार को अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी की फ़िल्म ‘चेहरे’ सीधे सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है। सिनेमाघरों से दर्शकों की दूरी को देखते हुए तमाम फ़िल्में सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ कर दी गयीं। चेहरे के निर्माताओं के सामने भी यह विकल्प खुला हुआ था, लेकिन फिर भी उन्होंने फ़िल्म को सिनेमाघरों में उतारने का फ़ैसला किया। इसके पीछे आख़िर क्या वजह रही होगी? क्यूं फिल्म के निर्माता नहीं चाहते है कि फिल्म ओटीटी पर आए।
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इसी को लेकर फिल्म के निर्माता आनंद पंडित ने इंटरव्यू के दौरान कहा- ‘ हम ओटीटी पर फिल्म रिलीज बिल्कुल कर सकते थे। यह फ़िल्म हमने पहले से ही सिनेमाघर वाले फॉर्मेट में बनायी है। इसे जो विशालता दी गयी है, जिस हिसाब से इसके निर्माण में बजट का इस्तेमाल किया है और जिस हिसाब से टेक्नीशियंस का इस्तेमाल किया गया है, उससे एक ऐसा सिनेमा उभरकर आया है, जिससे हमें लगा कि इस तरह की थ्रिलर फ़िल्म को लोग बड़ पर्दे पर ज़्यादा पसंद करेंगे। फ़िल्म में हमने उच्च स्तर के टेक्नीशियंस को लिया, चाहे साउंड डिज़ाइनिंग हो या विनोद प्रधान की सिनेमैटोग्राफी हो। उस हिसाब से हमको लग रहा था कि इसे बड़े पर्दे पर फ़िल्म को ज़्यादा न्याय मिलेगा। लोगों को बड़े पर्दे पर बेहतरीन एक्सपीरिएंस मिलेगा।
आगे इस फिल्म को लेकर आनंद ने कहा- मेरे लिए कोई फाइनेंशियल लॉस नहीं है, क्योंकि ऐसा नहीं कि मैंने बैंक से लोन लिया हो या प्राइवेट फाइनेंसर से पैसा लिया हो। मेरे लिए वो तकलीफ़ की बात नहीं है।चेहरे में अमिताभ बच्चन की कास्टिंग को लेकर आनंद कहते हैं आम तौरपर क्या होता है कि एक कहानी प्रोड्यूसर के पास में आती है। प्रोड्यूसर, डायरेक्टर को लेकर आता है और प्रोड्यूसर एक्टर को एप्रोच करता है, लेकिन इसमें थोड़ा उल्टा हुआ था। बच्चन साहब को यह फ़िल्म बनानी थी। उनके पास यह कहानी पहले से थी। बच्चन साहब ने सामने से मुझे फोन किया था कि यह फ़िल्म आप प्रोड्यूस करिए और मेरे लिए तो यह सपने के सच होने जैसा था।
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फ़िल्म में इमरान हाशमी पहली बार अमिताभ बच्चन के सामने नज़र आएंगे। उनकी कास्टिंग के बारे में आनंद ने बताया कि इमरान वाले किरदार के लिए हमारे निर्देशक रूमी भाई सोच रहे थे, किसको लें? फिर हमें लगा कि इमरान ने कभी बच्चन साहब के साथ काम नहीं किया है और कभी भारी-भरकम सवादों वाली फ़िल्म नहीं की है। वहीं, इमरान में थोड़ा ग्रे शेड पहले से है तो हमें लगा कि वो मिस्टर बच्चन के सामने बिल्कुल सही रहेंगे। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव से सिनेमाघरों को संभावित ख़तरे पर आनंद कहते हैं मुझे लगता है कि दोनों फॉर्मेट एक-दूसरे के पूरक बनकर काम करेंगे। इंडस्ट्री में ऐसे बहुत से बेहतरीन कलाकार, टेक्नीशियंस और निर्देशक हैं, जिन्हें अपनी फ़िल्में थिएटर में रिलीज़ करने का मौक़ा नहीं मिल पाता, उनके लिए ओटीटी बहुत अच्छा माध्यम है।
रही बात सिनेमाघरों की तो लोगों के लिए यह एक अलग ही अनुभव होता है। सिर्फ़ फ़िल्म देखना नहीं होता, बल्कि परिवार के साथ आउटिंग या बाहर घूमने-फिरने का मौक़ा भी होता है। उस हिसाब से ओटीटी और थिएटर की तुलना नहीं हो सकती है। मगर, मुझे लगता है कि साथ में यह दोनों माध्यम इंडस्ट्री को और बड़ा करेंगे। चेहरे रिया चक्रवर्ती की कास्टिंग के कारण भी ख़ूब चर्चा में रही है। इस पर आनंद ने कहा- हमने जब ट्रेलर डाला था, यू-ट्यूब पर हमें जो कमेंट्स मिले, उसमें 95 फीसदी लोगों ने हमें सराहा कि अच्छा है, एक बेचारी हालात की शिकार लड़की के साथ आप खड़े रहे। रिया की फ़िल्म में मौजूदगी को लेकर ज़रा भी डर नहीं है मुझे। तो ऐसे में फिल्म को लेकर कई सारे खुलासे फिल्म निर्माता ने खुलासे किए है।
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