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Tuesday, March 19, 2024

सेना प्रमुख का चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश, कहा-हमारे धैर्य की परीक्षा न लें

नई दिल्ली। 73वें सेना दिवस (Army Day) के अवसर पर सेना प्रमुख नरवणे ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि किसी को भारतीय सेना के धैर्य की परीक्षा लेने की गलती नहीं करनी चाहिए। जनरल नरवणे ने कहा कि सीमा पर एकतरफा बदलाव की साजिश का मुंह तोड़ जवाब दिया गया है और पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। जनरल नरवणे ने कहा, हम बातचीत और राजनीतिक प्रयासों के माध्यम से विवाद हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन किसी को भी हमारे धैर्य की परीक्षा लेनी की गलती नहीं करनी चाहिए।

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सेना प्रमुख को विरोधियों का कड़ा संदेश

आर्मी चीफ ने कहा, मैं आपको आश्वासन देता हूं कि गलवान के नायकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। भारतीय सेना देश की अखंडता एवं सुरक्षा को कोई आंच नहीं आने देगी। गलवान घाटी में पिछले साल 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। चीन ने संघर्ष में हताहत हुए अपने जवानों की संख्या सार्वजनिक नहीं की है। एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के भी 35 सैनिक मारे गये थे।

उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भारत और चीन के बीच आठ दौर की सैन्य वार्ता भी हुई है। उन्होंने कहा, हम आपसी और समान सुरक्षा के आधार पर वर्तमान स्थिति का समाधान खोजना जारी रखेंगे।

सेना का पाक को कड़ी चेतावनी

पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा कि पड़ोसी देश आतंकवादियों को लगातार पनाहगाह मुहैया करा रहा है। लेकिन हमारे जवानों द्वारा दुश्मन को सीमा पर कड़ा जवाब दिया जा रहा है। पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर मौजूद शिविरों में 300 से 400 आतंकवादी घुसपैठ को तैयार हैं। उन्होंने कहा, पिछले साल संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पाकिस्तान की भयावह साजिशों को प्रतिबंबित करती है। वे ड्रोन के जरिए हथियारों की तस्करी करने की कोशिश भी कर रहे हैं।

Army Day special: 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है आर्मी दिवस,जानते है इतिहास

आर्मी दिवस का इतिहास

बता दें कि इतिहास के पन्नें पलटे तो साफ- साफ लिखा है कि 15 अगस्त 1997 को जब देश आजाद हुआ था। तो देश में उस वक्त देश में काफी उथल-पुथल मच गई थी। तब से सरकार ने इस स्थिति को समालने के लिए सेना को आना पड़ा। और उसके बाद व्यवस्था को सही किया गया था। परन्तु भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे।

और आज के दिन ही जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल से कमांडर इन चीफ बनाया गया। जो कि करियप्पा किप्पर के रुप से काफी मशहूर रहे काफी समय तक। इस तरह से लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। इसीलिए कहा जाता है कि करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है आर्मी दिवस।

Priya Tomar
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I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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