नई दिल्ली: बिहार (Bihar) में लंबे समय से जातीय जनगणना कराने की मांग उठ रही है। इस बाबत बिहार विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया जा चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस बात के पक्ष में हैं। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना को हरी झंडी नहीं मिल पा रही है। इस वजह से सूबे की सियासत गरमाई हुई है। इसी सियासी उथल-पुथल के बीच तेजस्वी यादव आज शुक्रवार को एक बजे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे। संभावना है कि दोनों इस मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं।
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दो प्रस्ताव रखेंगे तेजस्वी यादव
मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के संबंध में तेजस्वी यादव ने कल ही विधानसभा में प्रत्रकारों से बातचीत के दौरान जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि वो मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेंगे और दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव जो बिहार के हित में हैं, उसे वो उनके सामने रखेंगे। उन्होंने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री खुद जातीय जनगणना के पक्षधर हैं, तो जैसे कर्नाटक सरकार ने अपने खर्च पर गिनती कराई। वो भी एलान करें कि हम भी जातीय जनगणना अपने अपने खर्च पर करा रहे हैं।
45% बच्चे ओबीसी
देशभर के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की जातियों के आधार पर वर्गीकरण करने के बाद पता चलता है कि 45% बच्चे ओबीसी से आते हैं जबकि अनुसूचित जाति (SC) के 19% और अनुसूचति जनजाति (ST) के 11% बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। ये आंकड़े शैक्षिक सत्र 2019-20 के हैं। इनके मुताबिक, करीब एक चौथाई विद्यार्थी सवर्ण हिदू और अन्य धर्मों से हैं जिनमें बौद्ध धर्म शामिल नहीं है।
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ओबासी आबादी 52% – मंडल कमिशन
वहीं मंडल कमिशन ने देश में ओबासी आबादी 52% होने का अनुमान लगाया था। चूंकि प्राथमिक स्कूल के ओबीसी छात्रों का अनुपात इससे कम पाया गया है, फिर भी उनकी आबादी के अनुपात में रिजर्वेशन तो नहीं ही मिल रहा है जैसा कि एसी और एसटी को प्राप्त है। दक्षिणी राज्यों में ओबीसी स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा आरक्षण का लाभ मिलता है। 71% ओबीसी आरक्षण के साथ तमिलनाडु इस लिस्ट में टॉप पर है जबकि केरल में 69%, कर्नाटक में 62% कोटा तय है। वहीं, बिहार 61% ओबीसी कोटे के साथ उत्तरी भारत के राज्यों की लिस्ट में शीर्ष पर है जबकि उत्तर प्रदेश में 54% और राजस्थान में 48% ओबीसी आरक्षण लागू है।