नई दिल्ली: बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी में मचे घमासान के बीच चिराग पासवान इन दिनों मुसीबत में हैं। राम विलास पासवान की विरासत की इस जंग में उनको अपने ही चाचा पशुपति कुमार पारस से जूझना पड़ रहा है। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग के मसले पर भारतीय जनता पार्टी ने चुप्पी साध ली है, जबकि, चिराग को बीजेपी से साथ की उम्मीद थी।
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चिराग का हुआ मोहभंग
चिराग का कहना है कि बीजेपी के मुश्किल वक्त में वे और उनके पिता रामविलास पासवान चट्टान की तरह खड़े रहे, लेकिन उनके मुश्किल वक्त में बीजेपी से कोई सहयोग नहीं मिल सका है। वहीं खुद का एलजेपी पर दावा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर पशुपति पारस को बतौर एलजेपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली तो यह उन्हें मंजूर नहीं होगा। मीडिया से बातचीत करते हुए चिराग ने कहा कि JDU ने एलजेपी में दो-फाड़ की साजिश रची थी, और मुझे उम्मीद थी कि बीजेपी इसमें हस्तक्षेप कर मामले को सुलझाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा “अगर बीजेपी अगर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को बतौर एलजेपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देगी तो यह उन्हें स्वीकार नहीं होगा। हां, अगर पशुपति पारस को निर्दलीय या किसी अन्य दल से मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए तो उन्हें आपत्ति नहीं होगी”
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एलजेपी का आंतरिक मामला – BJP
एलजेपी में मचे घमासान पर बीजेपी चुप्पी साधे हुए है। वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल इसे एलजेपी का आंतरिक मामला बता चुके हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी नीतीश कुमार की चिराग पासवान से नाराजगी को देखते हुए चिराग का समर्थन करने से बच रही है। ताकि बिहार में अपनी सरकार को खतरे से दूर रखा जा सकें।
जो भी हो, अब चिराग पासवान के बयान से ये साफ हो गया है कि उनका बीजेपी और पीएम मोदी से मोहभंग हो रहा है। हाल ही में वो यह भी कह चुके हैं कि अगर हनुमान को राम से मदद मांगनी पड़े तो कैसे हनुमान और कैसे राम ?