नई दिल्ली। रामायण का हिन्दुधर्म में एक बहुत बड़ा नाम है, हर एक इसांन का इससे एक जुड़ाव होता है। कई सालों पहले जो रामयाण आई थी जिसका निर्देशक रामानंद सागर ने किया था। पर क्या कोई जानता है रामानंद सागर की जिंदगी में कितने उतार-चढ़ाव आए थे। किस तरह से अपनी जिंदगी का गुजारा किया है रामानंद सागर ने। आइए जानते है कुछ उनकी जिंदगी के बारें में।
‘रामायण’ के निर्देशक रामानंद सागर की जिंदगी
कई साल पहले रामायण आती थी जो कि दर्शकों के दिल में अपनी एक खास जगह रखती थी। इस रामायण को हर कोई बहुत पसंद करता था, उस समय कैसे भी कहीं से भी इसांन वक्त निकाल कर हर दिन रामायण देखता ही था। इस रामायण सीरियल का निर्दशक रामानंद ने किया था।
रामानंद तो उस समय इतने पापुलर थे, इसके बाद किसी को उनके बारें ने कुछ नहीं पता था कि वो कहां है। पर आज हम उनके जन्मदिन के दिन बताते है कुछ खास, रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 को लाहौर में हुआ था। जन्म के वक्त उनका नाम चंद्रमौली था। उनके दादा पेशावर से आकर परिवार समेत कश्मीर में बस गए थे। धीरे-धीरे वे शहर के नगर सेठ बन गए। जब रामानंद 5 वर्ष के थे तो उनकी माता का निधन हो गया था।
बचपन से ही रामानंद को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली किताब – प्रीतम प्रतीक्षा लिख डाली थी। उन दिनों रामानंद अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए छोटे-छोटे काम किया करते थे। उन्होंने चपरासी से लेकर साबुन बेचने तक का काम किया है। ऐसे ही छोटे-छोटे काम करके अपने शौक पूरे किए और पढ़ाई भी पूरी कर ली थी।
पढ़ाई का इतने शौकीन थे कि रामानंद सागर ने 32 लघुकथाएं, 4 कहानियां, 1 उपन्यास, 2 नाटक लिखे हैं। वे पंजाब के जाने-माने अखबार डेली मिलाप के संपादक रह चुके हैं। फिल्मों में उनकी शुरुआत क्लैपरबॉय के रूप में हुई थी।इसके बाद पृथ्वी थिएटर्स में बतौर असिस्टेंट स्टेज मैनेजर रामानंद सागर ने काम करना शुरू किया। और फिर क्या था धीरे- धीरे अपना सिक्का बॉलीवुड में जमा लिया। 1987 में फिल्मों से अलग रामानंद सागर ने सीरियल रामायण का निर्माण किया।