नई दिल्ली। पंजाब की सियासत में इन दिनो जबरदस्त उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। जिस कांग्रेस पार्टी को कैप्टन अमरिंदर सिंह 10 साल के बाद सत्ता में वापस लाए थे, उसी कांग्रेस पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी से बेदखल कर दिया। कुर्सी से हटने के बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह बगावती रुख अपनाए हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह सीधे कांग्रेस आलाकमान को ही चुनौती दे रहे है।
कैप्टन खेमे की रणनीति अब एकदम से कांग्रेस को झटका देने की नहीं है। शुरुआत में कैप्टन के करीबी रहे कुछ पूर्व मंत्री और विधायक उनके साथ आएंगे। इसके बाद धीरे-धीरे विधायकों और दिग्गज कांग्रेसियों को शामिल किया जाएगा। कैप्टन की रणनीति है कि चुनाव तक कांग्रेस को संभलने का मौका ही न दिया जाए। सूत्रों की मानें तो कैप्टन करीब 15 विधायकों के संपर्क में हैं। उनकी कोशिश यही रहेगी कि चुनाव और टिकट बंटवारे तक कांग्रेस को बगावत में ही उलझाकर रखा जाए।
अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी की घोषणा की तैयारी कर ली है। चर्चा ये भी है कि कैप्टन दीवाली के करीब नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की सांसद पत्नी परनीत कौर भी सक्रिय हो गई हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह के लोगों से न मिलने के उलट परनीत की छवि अलग है। वे नेताओं से मिलती भी रही हैं और उनके अच्छे सियासी रिश्ते भी हैं। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी में उनकी भूमिका अहम होनी तय है।
कैप्टन उनके जरिए भी अपनी पार्टी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सांसद पत्नी परनीत कौर अभी पटियाला से कांग्रेस पार्टी की सांसद है। .कयास ये भी लगाए जा रहे है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी के साथ जा सकते है। कैप्टन अमरिंदर सिंह गृह मंत्री अमित शाह से मिल भी चुके है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अगर बीजेपी के साथ आएगे तो बीजेपी को इससे बड़ा फायदा होने की उम्मीद है।
आपको बता दे कि पंजाब की सियासत में BJP कभी लीड पार्टी नहीं रही है। अब तक वह अकाली दल के सहारे प्रदेश की सियासत में टिकी हुई थी। अब पंजाब में BJP के पास कोई बड़ा सिख चेहरा नहीं है, जिसका पूरे पंजाब में आधार हो। अकाली दल से गठजोड़ तोड़ने के बाद BJP के लिए कैप्टन जैसा चेहरा जरूरी है। वहीं इसे BJP की मजबूरी भी समझा जा सकता है, क्योंकि पहले प्रकाश सिंह बादल के रूप में उसके पास दिग्गज सिख चेहरा था अब कैप्टन के साथ गठजोड़ कर BJP इसकी भरपाई कर सकती है।
कैप्टन कह भी चुके हैं कि BJP एंटी मुस्लिम या सांप्रदायिक पार्टी नहीं है। वही कैप्टन अमरिंदर सिंह का पंजाब की राजनीति में कितना रसूख है वो किसी से छिपा नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनावो में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी को अपने दम पर सत्ता में ला दिया था। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनावो की बात करे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर लोकसभा सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली को एकतरफा चुना हरा कर पंजाब की राजनीति में अपनी धमक दिखा दी थी।
पंजाब में साल के शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने है कांग्रेस पार्टी के पास पंजाब में अभी ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो अपने दम पर पंजाब में कांग्रेस पार्टी को सत्ता में पा सके। ऐसे में अगर कैप्टन कांग्रेस का दामन छोड़ कर अपनी पार्टी बनाते है या बीजेपी के साथ जाते है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस तो होना तय है।