नई दिल्ली। पंजाब (Punjab) में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसें में यहां राजनीतिक दांव पेंच का खेल शुरू हो चुका है। कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आज पंजाब में कांग्रेस की कमान चरणजीत सिंह चन्नी संभाल लिया है। चन्नी पंजाब में मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं। उनके अलावा सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओम प्रकाश सोनी ने भी शपथ ली जो राज्य के उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी का बड़ा ऐलान
पंजाब की कमान संभालने ही चन्नी ने किसानों और आम लोगों को बड़ा तोहफा दिया है। पंजाब के नए मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा है ‘हम किसानों के पानी और बिजली के बिल माफ करेंगे। इसके साथ उन्होंने किसानों को समर्थन देने की बात कही है। उन्होंने कहा ‘पंजाब सरकार किसानों के साथ खड़ी है. हम केंद्र से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करते हैं। चिन्नी ने कहा कि ‘कांग्रेस ने एक आम आदमी को मुख्यमंत्री बना दिया है, मैं आम आदमी हूं किसानों पर आंच आई तो गर्दन पेश कर दूंगा
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बता दें कि चन्नी दलित सिख (रामदसिया सिख) समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह इस क्षेत्र से साल 2007 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की। वह शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के शासनकाल के दौरान साल 2015-16 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे।
इससे पहले, राज्य के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चलने की चर्चा थी, हालांकि ऐन मौके पर कांग्रेस आलाकमान ने चन्नी के नाम पर मुहर लगाई।
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी के नाम की जोरदार पैरवी की और फिर राहुल गांधी ने दिल्ली में लंबी मंत्रणा के बाद चन्नी के नाम को मंजूरी दी। चन्नी दलित सिख समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
कांग्रेस ने चन्नी के सहारे चला बड़ा दांव, जानें इस फैसले के पीछे का सियासी मायने
गौरतलब है कि अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद कैप्टन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों मैं अपमानित महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था शायद कांग्रेस आलाकमान को मुझपर भरोसा नहीं रहा। पिछले दो महीने मेरे साथ ये तीसरी बार हुआ है, जब हमे दिल्ली तलब किया गया। अब उन्हें जिस पर भरोसा है वो उसे मुख्यमंत्री बनाए। उन्होंने कहा समय आने पर आगे का फैसला करूंगा, अभी मैं कांग्रेस में ही हूं।