नई दिल्ली। भारत के कई हिस्सों में छठ पर्व का बहुत अधिक महत्व है। छठ पर्व (Chhath Pooja) साल में दो बार मनाया जाता है, कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को और चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को। साल में 6 महीने के अंतराल पर होने वाले छठ पर्व का धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से काफी महत्व है।
बिहार-झारखंड और यूपी समेत पूरे भारत में मनाए जाने वाले छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व का आज दूसरा दिन है और दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। खरना के दिन और इसके प्रसाद का काफी महत्व है। इस दिन छठ व्रत करने वाले लोग पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ से बनी खीर खाकर व्रत तोड़ती हैं। इसे ही खरना का प्रसाद कहा जाता है. खरना के प्रसाद के खाने के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
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यह पर्व कृषि से भी संबंधित है। दोनों पर्व ऐसे समय में मनाया जाता है जब नई फसल कटकर घर आती है। सूर्य देव की कृपा से किसानों का घर अन्न धन से भर जाता है इसलिए सूर्य देव के प्रति आभार प्रकट करने के लिए छठ पर्व मनाया जाता है।
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पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ का महापर्व बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से हो जाती है। यह पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है। महिलाएं छठ के दौरान लगभग 36 घंटे का व्रत रखती हैं। छठ के दौरान छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मईया सूर्य देव की मानस बहन हैं।
छठ पूजा का पावन पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। इस साल 8 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत होगी।
नहाय- खाय
8 नवंबर 2021 को नहाय- खाय किया जाएगा। नहाय खाय के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना
खरना 9 नवंबर 2021 से किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
खरना के अगले दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है
खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस साल 10 नवंबर 2021 को शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा
छठ पर्व का समापन
खरना के अगले दिन छठ का समापन किया जाता है। इस साल 11 नवंबर को इस महापर्व का समापन किया जाएगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारणा किया जाता है।
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कोरोना से चलते छठ पूजा आयोजन पर DDMA ने लगाई रोक
कोरोना के मद्देनजर दिल्ली में सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा आयोजित करने पर रोक लगाई लगा दी गई है। डीडीएमए (DDMA) ने इससे संबंधित औपचारिक आदेश जारी किया है। आदेश में सार्वजनिक स्थानों, ग्राउंड, मंदिर और घाटों पर छठ पूजा आयोजित करने पर पाबंदी लगाई गई है। लोगों से घरों में ही पूजा करने की अपील की गई है। इसके साथ ही त्यौहारी सीज़न में मेले, फ़ूड स्टाल, झूला, रैली, जूलूस आदि की अनुमति नहीं होगी. डीडीएमए का ये आदेश 15 नवंबर तक लागू रहेगा।
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