नई दिल्ली। उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले विधायकों और नेताओं के दलबदल का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसी कड़ी में आज धामी सरकार में मंत्री यशपाल आर्य ने कांग्रेस का दामन थामा। वहीं इस पर सीएम पुष्कर सिंह धामीने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जाने वाले को कोई नहीं रोक सकता है। धामी ने आगे कहा कि किसी के छोड़ने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा,हमारी पार्टी में देश प्रथम स्थान पर आता है और पार्टी द्वितीय स्थान पर आती है और व्यक्तिगत हित अंतिम स्थान पर आता है। मैं समझता हूं कि व्यक्तिगत हित आड़े आ गए होंगे। पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हुए आर्य की अपने पुत्र और नैनीताल विधायक संजीव के साथ घर वापसी की अटकलें काफी दिनों से चल रही थीं और मुख्यमंत्री धामी ने इस घटनाक्रम को टालने के स्वयं प्रयास भी किए थे।
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गौरतलब है कि आर्य और मुख्यमंत्री धामी दोनों का विधानसभा क्षेत्र उधमसिंह नगर जिले में है। धामी जहां खटीमा से विधायक हैं वहीं आर्य बाजपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं । वैसे राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आर्य का कांग्रेस में घर वापसी का फैसला हाल में पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के उत्तराखंड में भी इसकी वकालत करने से भी प्रेरित हो सकता है ।
आर्य ने 40 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2017 में ऐन विधानसभा चुनाव से पहले पुत्र संजीव के साथ भाजपा में शामिल होकर सबको चौंका दिया था। तब कांग्रेस ने हालांकि कहा था कि आर्य अपने अलावा अपने पुत्र संजीव के लिये भी विधानसभा टिकट मांग रहे थे और अपने कर्मठ कार्यकर्ता की अनदेखी कर उन्हें यह टिकट दे पाना संभव नहीं था। छह बार के विधायक आर्य ने कैबिनेट मंत्री रहने के अलावा सात साल उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाला है। वह प्रदेश की पहली निर्वाचित विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं।