नई दिल्ली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस नीति (zero tolerance policy) से समझौता न करते हुए नोएडा में वाणिज्य कर विभाग (GST) के चार बड़े अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इन अधिकारियों में नोएडा के एडिशनल कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर, डिप्टी और असिस्टेंट कमिश्नर शामिल हैं।
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जीएसटी चोरी और हेराफेरी करने में मदद करने के आरोप
इन चारों के खिलाफ एक कंपनी की जीएसटी चोरी और हेराफेरी करने में मदद करने के आरोप लगे थे। जिन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने जांच का आदेश दिया था। शासन ने जांच करवाई और चारों अफसरों को दोषी पाया। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने चारों बड़े अफसरों को निलंबित कर दिया है। नोएडा के वाणिज्य कर विभाग (जीएसटी) इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2020 में जिले में एक फर्जी फर्म की जांच की गई थी। एडीशनल कमिश्नर विशेष अनुसंधान शाखा के आदेश पर यह जांच की गई थी। यह जांच कर वसूलने के मामले में 32 करोड़ रूपये की वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर हुई थी। इसमें गौतमबुद्धनगर में वाणिज्यकर विभाग के एडिशनल कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर सोनिया श्रीवास्तव, डिप्टी कमिश्नर मिथिलेश मिश्रा और जॉइंट कमिश्नर दिनेश कुमार दुबे पर आरोप लगे थे।
मामले में टीम गठित कर जांच के आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने इस पूरे मामले में टीम गठित कर जांच के आदेश दिए थे। मामले की जांच एडिशनल कमिश्नर सीबी सिंह ने की थी। पूरे मामले की जांच करने वाली टीम ने योगी आदित्यनाथ को पूरी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ ने यह कार्रवाई की है। वहीं निलंबित किए गए अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्होंने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन उन पर लगे आरोप सही नहीं है।
नोएडा में भ्रष्टाचार की नदी, गोता लगाते रहे है अफसर
नोएडा के हर सरकारी महकमे में नोएडा की पोस्टिंग पाना बड़ी बात मानी जाती है। इसके लिए लखनऊ में अफसर से लेकर कर्मचारी तक नेताओं से लेकर लोकभवन तक पोस्टिंग पाने के लिए चक्कर लगाते रहते है। पोस्टिंग पाने के लिए शाम दाम और दंड भेद का पूरा इस्तेमाल करते है। नोएडा में विकास प्राधिकरण से लेकर पुलिस, प्रशासन और जीएसटी में भी यही फार्मूला लागू होता है।
बिजली महकमे में भ्रष्टाचार के बड़े मामले
नोएडा के हर विभाग में भ्रष्टाचार की नदी है जिसमें समय समय पर अफसर और कर्मचारी गोता लगाते रहते है। कुछ गोता लगाने के चक्कर में जांच के भंवर में फंस कर डूब भी जाते है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी में सीईओ से लेकर चीफ इंजीनियर तक जेल गए हैं। पुलिस कप्तान सस्पेंड होते रहे हैं। एसएचओ जेल गए हैं। डीएम तक पर गाज गिरी हैं। बिजली महकमे में भ्रष्टाचार के बड़े मामले सामने आए। बड़े- बड़े अफसर और कर्मचारी नपे हैं।
बड़े अधिकारी एक साथ कार्रवाई की जद में
बिल्डरों को अवैध तरीके से कनेक्शन दिए जाने की जांच में बड़े बड़े अफसर अब भी फंस रहे है। इसी तरह वाणिज्य कर विभाग में भी भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते रहे हैं, लेकिन पहली बार एडिशनल कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर जैसे बड़े अधिकारी एक साथ कार्रवाई की जद में आए हैं। जिसकों लेकर विभाग में हड़कंप है।
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