नई दिल्ली। रेप और शारीरिक संबध दोनों में फर्क तो काफी होता है, इस बात को हर इंसान समझता है। लेकिन हमारे देश में कुछ चीजों को समझना बहुत जरुरी होता है फिर चाहे सच कुछ भी हो। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है और लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाना और फिर बाद में शादी के वादे से मुकरने के आधार पर रेप का मुकदमा दर्ज नहीं कराया जा सकता है।
रेप और शारीरिक संबध नें फर्क होता है
दिल्ली हाई कोर्ट में रेप और शारीरिक संबध को लेकर कई दिनों से सुनवाई चल रहीं थी। इस बात को लेकर कि रेप और शारीरिक संबध में अंतर है या नहीं। रेप केस की सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला किया है कि शादी का अगर कोई वादा करता है और दोनों के बीच शरीरिक संबध बनते है तो ये कताई रेप नहीं होगा।
कोर्ट को फैसला है कि दो लोग आपस में शादी की बात करतें है और साथ रहते है, आपस में शारीरिक संबध बनाते है। फिर किसी वजह से अगर शादी नहीं हो पाती है तो इसका मतलब ये नहीं है कि महिला के साथ रेप हुआ और वो रेप का केस करे। शारीरिक संबंध बनाना और फिर बाद में शादी के वादे से मुकरने के आधार पर रेप का मुकदमा दर्ज नहीं कराया जा सकता है
उच्च न्यायालय ने इसी तरह के कथित दुष्कर्म के मामले में आरोपी को बरी करने के लिए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस विभु बाखरू ने निचली अदालत के खिलाफ की अपील को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि महिला और आरोपी देनों लंबे समय तक आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि महिला ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने में भी 640 दिनों की देरी कर दी है।
एक केस में एक महिला ने केस किया कि उसके साथ रेप हुआ है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि महिला की शिकायत के मुताबिक उसने 2008 में आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और इसके तीन या चार माह बाद उसने उससे शादी करने का वादा किया। जब दोनों साथ रहे तो महिला गर्भवती भी हुई और गर्भपात भी किया। लेकिन महिला को कोई समय याद नही है। उच्च न्यायालय का कहना है कि पीड़िता को कुछ याद नहीं है इसके साथ ही साक्ष्यों की कमी और अन्य पहलुओं को देखते हुए उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ महिला की अपील को खारिज कर दिया। निचली अदालत के 24 मार्च 2018 को साक्ष्यों के अभाव में आरोपी को दुष्कर्म के आरोपों से बरी कर दिया था।