नई दिल्ली। जातिवाद को लेकर फिर से मामला सामने आ गया है। इस बार ये मामला शिक्षकों की भर्ती के बीच आ गया है, जिसके चलते चयन बोर्ड के खिलाफ केस दर्ज हो गया है। दरअसल हुआ ये कि प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की बहाली के लिए हुई परीक्षा में जातिगत प्रश्न पूछ लिए गए थे बस फिर क्या लोगों के बीच अलग ही नाराजगी का माहौल देखने को मिला।
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जब शिक्षकों की भर्ती की बात हुई तो, भर्ती के लिए 13 अक्तूबर 2018 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में हिंदी भाषा और बोध सेक्शन में सवाल पूछा गया था कि पंडित की पत्नी को पंडिताइन कहते हैं तो अनुसूचित जाति के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द के विपरीत पत्नी को क्या कहा जाएगा।
इसको लेकर कई सारे सवाल उठाने लगे और फिर डीएसएसएसबी के चेयरमैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। औऱ जब डीएसएसएसबी खुद को इस पेपर सेट से अलग रखने की बात करने लगा तो अदालत ने डीएसएसबी के इस तर्क पर हैरानी जताई।
वहीं इस मामले में कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि शिकायत नवंबर 2018 से लंबित है। इसके बावजूद पेपर सेट करने वालों तथा उनकी पहचान करने की दिशा में दिल्ली पुलिस के एसीपी तथा अधिकारियों का रवैया बेहद निराशाजनक रहा है। इसके बाद डीएसएसएसबी चेयरमैन संतोष वैद्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होकर पेपर सेट करने वालों की जानकारी सीलबंद लिफाफे में दी थी।
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सूत्रों से जानकारी मिली है कि जातिसूचक सवाल पूछने वाले लोगों को प्रश्न पत्र बनाने वाले पैनल से हटा दिया गया है। हालांकि बोर्ड ने उनके नामों व पहचान का खुलासा नहीं किया है। हालांकि पुलिस ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड ने यह निर्णय एक बैठक में लिया था। इसके अलावा पेपर बनाने वालों को इसके प्रति जागरूक भी किया गया था।