नई दिल्ली। जानवरों और लावारिस कुत्तों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जानवरों को कानून के तहत करुणा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। पशु एक आंतरिक मूल्य के साथ संवेदनशील प्राणी हैं। इसलिए ऐसे प्राणियों की सुरक्षा सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों सहित प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। इसके अलावा लावारिस कुत्तों को लेकर भी कोर्ट ने आदेश जारी दिया है कि जिसमें उनका खाना और इलाज के लिए निर्देश दिए है।
जानवरों और स्ट्रीट डॉग को लेकर न्यायमूर्ति जेआर मिढ़डा ने अपने 87 पृष्ठों के फैसले में कहा कि सामुदायिक कुत्तों (स्ट्रीट डॉग्स) को भोजन खिलाने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करने में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह अन्य व्यक्तियों या समाज के दूसरों सदस्यों को नुकसान, बाधा, उत्पीड़न के माध्यम से उनके अधिकारों का उल्लंघन न हो।
इसको लेकर आगे अदालत ने कहा प्रत्येक कुत्ता एक क्षेत्रीय प्राणी है और इसलिए कॉलोनी के कुत्तों को उनके क्षेत्र के भीतर उन स्थानों पर खिलाया जाना चाहिए और उनकी देखभाल की जानी चाहिए, जहां लोग कम आते जाते हैं और आम जनता और निवासियों द्वारा संयम से उपयोग किए जाते हैं। अदालत ने निर्देश दिया है कि कुत्तों को रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या नगर निगम के परामर्श से एडब्ल्यूबीआई द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्रों में खाना खिलाया जाना चाहिए।
वहीं अदालत ने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे निकायों को इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि ये क्षेत्रीय कुत्ते हैं। यह एडब्ल्यूबीआई और रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का कर्तव्य है कि वे इस तथ्य को सुनिश्चित करें और ध्यान रखें कि समुदाय कुत्ते समूह में रहते हैं और एडब्ल्यूबीआई और आरडब्ल्यूए द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रत्येक समूह में आदर्श रूप से खिलाने के लिए अलग-अलग निर्दिष्ट क्षेत्र हों, भले ही इसका मतलब किसी इलाके में कई क्षेत्रों को निर्दिष्ट करना हो।
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अदालत ने कहा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण कर उसी क्षेत्र में वापस लौटाना होगा। यदि कुत्तों में से कोई भी घायल या अस्वस्थ है तो यह आरडब्ल्यूए का कर्तव्य होगा कि वह ऐसे कुत्ते के लिए नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए पशु चिकित्सक और या निजी तौर पर आरडब्ल्यूए के फंड से इलाज करवाए।अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दूसरे को कुत्तों को खाना खिलाने से प्रतिबंधित नहीं कर सकता है, जब तक कि यह उस अन्य व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।