नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने एक योजना आम जनता के लिए बनाई थी जिसके चलते लोगों को राशन मिलता। अर्थात् इस योजना के माध्यम से लोगों को उनके घर घर जाकर राशन दिया जाता। पंरुत फिलहाल तो इस योजना में सरकार की इस योजना को राज्यपाल ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया है। जिसके चलते मामला कोर्ट तक पहुंच गया है।
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जब राज्यपाल ने दिल्ली सरकार की घर घर राशन योजना को मंजूरी देनें से इंकार कर दिया। तो फिर ये मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया, जानकारी के मुताबिक इस योजना पर सुनवाई 18 जून को की जाएगी। वहीं याचिका में सरकार की योजना को जनहित में बताते हुए कहा गया है कि मौजूदा समय में 72 लाख राशन कार्ड धारकों को अनाज के लिए जन-वितरण प्रणाली की राशन दुकानों के सामने घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इस कारण लोगों और उनके बच्चों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
इस योजना को लेकर श्रीकांत प्रसाद की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार इस योजना को लागू करने ही वाली थी कि उपराज्यपाल ने इस पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ता के अनुसार उपराज्यपाल ने दो कारणों से सरकार की योजना पर रोक लगाई है। पहला कारण हाईकोर्ट में राशन दुकानदारों की याचिका लंबित होने के कारण केंद्र सरकार द्वारा अभी तक योजना को मंजूरी नहीं देना। दूसरा कारण, इस योजना के कार्यान्वयन से पहले मंजूरी नहीं लेना।
योजना विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ , आगे इसको लेकर याची ने तर्क रखा कि जीएनसीटीडी बनाम भारत सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के तहत उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की ऐसी योजना में दखल देने का अधिकार नहीं है। याची के तर्क के हिसाब से राज्यपाल को इस योजना की मंजूरी दे देनी चाहिए।
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वहीं दूसरी तरफ याची ने इसके अलावा सरकार और सक्षम अथॉरिटी को फुटपाथ पर रहने, सोने वाले बेघर लोगों के खाना, आश्रय, दवा मुहैया कराने का भी आदेश देने की मांग की है। इसके अलावा उनके पुनर्वास का भी निर्देश देने का आग्रह किया है। साथ ही याचिका में दिल्ली सरकार को ई-ड्रिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर राशन कार्ड के आवेदन को स्वीकार करने के प्रावधान करने का आदेश देने की मांग की है।