नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली (Delhi) के सरकारी अस्पतालों में पोस्ट कोविड मरीजों का दाखिला नहीं हो रहा है। इन मरीजों को भर्ती ना करने के पीछे कई सारी दलीले दी जा रही है। और ऐसे में यहां पर जो लोग परेशान है उनको मजबूरियां के नाम पर निजी अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है और ऐसे में पैसे, अस्पतालों का खर्च आदि चीजें लोगों को परेशान कर रही हैं।
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गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के चलते हजारों लोग मर रहे है। लाखों लोग अस्पतालों में भर्ती हो रहे है। और अब धीरे-धीरे स्थिति ठीक हो रही है, दिल्ली में पिछले दो महीने में करीब तीन लाख लोग कोरोना (Covid 19) से स्वस्थ हो चुके हैं। और ऐसा आंदाजा लगाया जा रहा है कि दिल्ली की स्थिति जल्द ही ठीक हो जाएगी।
परंतु दूसरी तरफ देखा जाए तो इनमें से कुछ मरीज ऐसे भी हैं, जिन्हें स्वस्थ होने के बाद सांस लेने में परेशानी समेत अन्य कई प्रकार की गंभीर समस्याएं भी हो रही हैं। जब यह मरीज अस्पतालों में जाते हैं तो इन्हें भर्ती नहीं किया जाता। ऐसे में लोगों को समस्या तो हो ही रही है।
वहीं एक ऐसा केस सामने आया है जिसमें बताया गया है कि जनकपुरी के रहने वाले दीपक वर्मा (53) एक माह पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे। 17 दिन बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई, लेकिन संक्रमण से उबरने के कुछ समय बाद ही उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी। समस्या इतनी बढ़ गई कि आनन-फानन उन्हें दिल्ली के माता चानन देवी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यहां उनका कुछ समय इलाज चला। हालत गंभीर होने के चलते अस्पताल प्रशासन ने उनके परिजनों से कहा कि मरीज को किसी अन्य अस्पताल में भर्ती कर दिया जाए। मरीज के परिजन ने बताया कि जब उन्होंने वेंटिलेटर बेड के लिए राजीव गांधी और लोकनायक अस्पताल में संपर्क किया तो उनसे कहा गया कि यहां केवल कोरोना मरीजों का ही इलाज होता है। फिलहाल, अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था नहीं है।
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आगे इस मामले को लेकर परिजन ने बताया कि इसी प्रकार उन्होंने कई और सरकारी अस्पतालों में भी संपर्क किया, लेकिन सभी ने भर्ती करने से मना कर दिया। आखिर में उन्होंने मरीज को मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया। उन्होंने कहा कि जब निजी अस्पतालों में सांस की परेशानी से संबंधित मरीज को भर्ती किया जा सकता है। तो ये बड़ी समस्या है, ऐसा किसी एक के साथ नहीं हुआ है कई सारे लोगों की यही समस्या है।