नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता शुक्रवार सुबह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। प्रदूषण संबंधी अनुमान जताने वाली सरकारी एजेंसी ने कहा कि हवा की अनुकूल गति के कारण वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होने की उम्मीद है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बृहस्पतिवार को कुछ समय के लिए ‘गंभीर’ स्तर पर रहा और इसके बाद यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी मे पहुंच गया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली ‘सफर’ के अनुसार, दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 के संकेंद्रण में पराली जलाने का योगदान बृहस्पतिवार को इस मौसम में सर्वाधिक 36 प्रतिशत था।
दिल्ली में सुबह साढ़े नौ बजे एक्यूआई 380 दर्ज किया गया। बृहस्पतिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 395 रहा। यह बुधवार को 297, मंगलवार को 312, सोमवार को 353 और रविवार को 349 था। शादीपुर (417), पटपडग़ंज (406), बवाना (447) और मुंडका (427) समेत कई निगरानी स्टेशनों पर एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा‘, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक‘, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम‘, 201 और 300 के बीच ‘खराब‘, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। सीपीसीबी के डेटा के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बृहस्पतिवार सुबह 10 बजे पीएम 10 का स्तर 424 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो इस मौसम में सर्वाधिक है। भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे के पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है।
पीएम 2.5 का स्तर 231 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया। भारत में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पीएम 2.5 के स्तर को सुरक्षित माना जाता है। नासा से प्राप्त उपग्रह चित्रों में पंजाब के अधिकांश और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली इत्यादि जलाने की घटनाओं की पुष्टि हुई।
सफर के अनुसार, पीएम 2.5 संक्रेंद्रण में पराली जलाने का योगदान दिल्ली में 36 % रहा। यह बुधवार को 18 %, मंगलवार को 23 %, सोमवार को 16 % , रविवार को 19% और शनिवार को 9% रहा। सफर ने कहा कि सतह पर हवा की गति बढऩे और वातायन की बेहतर परिस्थितियों से शनिवार तक हालात में ‘काफी’ सुधार की उम्मीद है।