नई दिल्ली। छोटी दिवाली यानी कि नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) इस बार 3 नवंबर बुधवार को मनाया जाना है। पांच दिन चलने वाले दिवाली (Diwali 2021) महापर्व के दूसरे दिन छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या रुप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। नरक शब्द पौराणिक कथाओं में वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से संबंधित है और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां दिन। छोटी दिवाली हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
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मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) के दिन अभ्यंग स्नान (Abhyanga Snan) करने से यम का भय समाप्त हो जाता है। अभ्यंग स्नान को सही मुहूर्त में करने पर इसका विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। पौराणिक कथा के अनूसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध किया था। उन्होंने नरकासुर के बंदीगृह में कैद सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त भी कराया था।
यह भी मान्यता है कि अगर स्नान के बाद दक्षिण दिशा में हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना की जाए तो व्यक्ति द्वारा साल भर किए गए पापों का नाश हो जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यांग स्नान की परंपरा है लेकिन कई लोग इस बारे में नहीं जानते हैं। अगर आप भी अब तक धार्मिक तौर पर काफी महत्व रखने वाले अभ्यंग स्नान के बारे में अनजान हैं तो हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं। नियमपूर्वक इस स्नान को करने से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
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छोटी दिवाली पूजा का शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और महत्व –
छोटी दिवाली 2021 शुभ मुहूर्त:
दुनियाभर के हिन्दु समुदाय के लोग पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुकूल समय को शुभ मुहूर्त के नाम से जानते हैं। इस बार छोटी दिवाली, 3 नवंबर 2021 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक है।
छोटी दिवाली 2021 पूजा विधि :
नरक चतुर्दशी के दिन लोग भगवान कृष्ण, काली माता, यम और हनुमान जी की पूजा करते हैं। मानता है कि इससे आत्मा की शुद्धि होती है और पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है। इसके साथ ही नरक में जाने से भी मुक्ति मिलती है।
छोटी दिवाली 2021 महत्व :
स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है। नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान करने को काफी फलदायी माना गया है। अभ्यंग स्नान में पूरे शरीर पर तेल की मालिश की जाती है।
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