नई दिल्ली। कई सारी ऐसी चीजें होती है जिनके बारें में हमको पता ही नही होता है और कई सारी ऐसी चीजें होती है जो हमारे साथ होती है पर हम उन पर ध्यान नही देते है। ऐसे ही एक बात है जीभ से बिमारियों का पता चलना। कोई तो जानता है इसके बारें में परतु कई सारे लोगों को नही पता है इसके बारें में। तो आज हम आपको कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी देगे जिससे आपको पता चल जाएं कि आखिर जीभ से सेहत के बारें में कैसे पता चलता है।
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तो पहते तो ये कि क्या आपको याद है, बचपन में जब आप बीमार पड़ते थे तो डॉक्टर रोग का पता लगाने के लिए जीभ बाहर निकालने को कहते थे? शायद उस समय आपने इसके कारण पर ज्यादा ध्यान न दिया हो, लेकिन ये इसीलिए किया जाता है कि आपकी सेहत के बारें में डॉक्टर आदांजा लगा ले। अध्ययनों से पता चलता है कि जीभ की रंगत या उसमें कोई भी बदलाव के आधार पर रोगों का निदान किया जा सकता है। जीभ में होने वाले बदलाव के आधार पर आप कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों का भी आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक सामान्यतौर पर स्वस्थ जीभ हल्के गुलाबी रंग की होती है। अगर आपको इसके रंग या जीभ की बनावट में कोई बदलाव नजर आता है तो सावधान हो जाना चाहिए।
विशेषश्रों के अनुसार जीभ में दर्द, इसके रंग की बहुत लाल होना या दाने निकलना कई रोगों का संकेत हो सकता है, जिसका समय पर निदान किया जाना आवश्यक है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि घर पर ही जीभ में बदलाव को देखते हुए बीमारियों का अंदाजा कैसे लगाया जा सकता है?
स्वस्थ जीभ आमतौर पर गुलाबी रंग और हल्के-हल्के दाने वाले कवर से ढकी होती है। कुछ स्वस्थ लोगों में जीभ का रंग थोड़ा गाढ़ा या हल्का भी हो सकता है। हालांकि यदि जीभ का रंग सुर्ख लाल, पीला या काला हो जाए या फिर कुछ भी खाने या पीने के दौरान आपको दर्द का अनुभव हो तो यह शरीर में अंतर्निहित बीमारियों का संकेत हो सकता है, जिसका समय पर निदान आवश्यक है। आइए जीभ में बदलावों के आधार पर संभावित बीमारियों के बारे में जानते हैं।
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और अगर जीभ पर सफेद धब्बे या कोटिंग जैसी बनावट ओरल थ्रश के कारण हो सकती है। ओरल थ्रश एक प्रकार का ईस्ट संक्रमण होता है। ओरल थ्रश आमतौर पर शिशुओं और बुजुर्गों में अधिक देखा जाता है। इसके अलावा जीभ पर सफेद कोटिंग ल्यूकोप्लाकिया के कारण भी हो सकता है। तंबाकू उत्पाद का सेवन करने वाले लोगों में यह समस्या अधिक होती है। कुछ स्थितियों में यह ल्यूकोप्लाकिया कैंसर का भी संकेत माना जाता है।
जीभ का रंग गुलाबी से हटकर यदि सुर्ख लाल बना रहता है तो इसे कुछ विटामिन्स की कमी का संकेत माना जाता है। बच्चों में होने वाले कावासाकी रोग में भी जीभ लाल रंग की हो जाती है। इसके अलावा स्कार्लेट फीवर जैसे संक्रमण की स्थिति में भी जीभ का रंग लाल हो सकता है।
कुछ लोगों की जीभ का रंग काला पड़ने लगता है, देखने में यह काफी खतरनाक लगता है, हालांकि आमतौर पर यह कोई गंभीर या चिंताजनक स्थिति नहीं होती है और मुंह की सफाई रखने से अक्सर ठीक हो जाती है। हालांकि डायबिटीज के कुछ रोगियों में जीभ का रंग काला हो जाने की समस्या का निदान किया गया है। बहुत अधिक एंटीबायोटिक्स लेने या कीमोथेरेपी कराने वाले लोगों में भी इस तरह की समस्या हो सकती है।
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