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Tuesday, March 19, 2024

अर्थव्यवस्था में रिकार्ड 23.9% की गिरावट, कृषि छोड़ सभी क्षेत्रों का बुरा हाल

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिये लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से देश की पहले से नरमी पड़ रही अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर पड़ा है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अर्थव्यवस्था में 23.9 % की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आयी है। इस दौरान कृषि को छोड़कर विनिर्माण, निर्माण और सेवा समेत सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहा है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में 3.1 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल-जून में 5.2 % की वृद्धि हुई थी।

तिमाही आंकड़े 1996 से जारी किये जा रहे हैं और उस समय से यह अबतक की सबसे बड़ी गिरावट है। इतना ही नहीं विश्लेषक जो अनुमान जता रहे थे, गिरावट उससे भी बड़ी है। महामारी की वजह से दुनिया के विभिन्न देशों में जीडीपी में ऐतिहासिक गिरावट हो रही है लेकिन भारत में स्थिति बिगड़ रही है। एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 78,000 से अधिक मामले आने के साथ कुल आंकड़ा 35 लाख को पार कर गया है। भारत इस मामले में केवल अमेरिका और ब्राजील से पीछे है। रूस की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून के दौरान 8.5 % की गिरावट आयी। हालांकि चीन में इसी दौरान 3.2 % की वृद्धि हुई।

चीन में इस साल जनवरी-मार्च में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 6.8 % की गिरावट आयी थी। उस समय वहां कोरोना  (Corona) वायरस महामारी चरम पर थी। पहली तिमाही में रूस में 1.6% की वृद्धि हुई थी। अमेरिका में अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में रिकार्ड 32.9 %, इटली में 12.8 % और तुर्की की अर्थव्यवस्था में 9.9% की गिरावट आयी। अमेरिका में महामारी को रोकने के लिये कारोबारी गतिविधियां बंद होने से करोड़ों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है और बेरोजगारी दर बढ़कर 14.7 % के उच्च स्तर पर पहुंच गयी।

मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमणियम ने कहा कि पहली तिमाही के आर्थिक प्रदर्शन पर मुख्य रूप से बाह्य कारकों का प्रभाव पड़ा और यह असर वैश्विक स्तर पर महसूस किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्व आर्थिक परिदृश्य में में दुनिया भर के देशों में खराब आर्थिक स्थिति का जिक्र किया गया है जहां प्रति व्यक्ति जीडीपी में 1870 के बाद सबसे बड़ी गिरावट आएगी। ऐसी बात एक-डेढ़ शताब्दी में एक बार दिखती है। सुब्रमणियम ने कहा, ‘हम भी इसी स्थिति से गुजर रहे हैं।’

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान कृषि एकमात्र क्षेत्र रह जहां 3.4 % की वृद्धि दर्ज की गयी। देश के सेवा क्षेत्र में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाला वित्तीय सेवा में आलोच्य तिमाही में 5.3 % की गिरावट आयी जबकि व्यापार, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्र 47 % नीचे आये। विनिर्माण क्षेत्र में 39.3%, निर्माण में 50.3 %, खनन उत्पादन में 23.3 % और बिजली तथा गैस खंड में 7 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि लॉकडाउन में ढील के बाद अर्थव्यवस्था में तीव्र गिरावट के बाद तीव्र वृद्धि ( आकार में) देखी जा रही है।

हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह सालाना रिपोर्ट में कहा कि अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भी गिरावट की आशंका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही आगाह कर चुकी हैं कि ‘दैवीय घटना’ के कारण अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में गिरावट आ सकती है। देश में पुनरूद्धार का रास्ता लंबा और कठिन जान पड़ता है। नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती और 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज जैसे मौद्रिक और राजकोषीय उपायों के बावजूद अर्थव्यवस्था में अबतक तेजी नहीं लौटी है।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि लॉकडाउन में ढील के बाद घरेलू मांग में के साथ विनिर्माण और सेवा खेत्रों में तेजी के साथ अर्थव्यवस्था में अगले साल ही वृद्धि आने की उम्मीद है। देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से 2020-21 की पहली तिमाही में करीब आधे समय में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप रही। उसके बाद इसमें कुछ ढील दी गयी लेकिन कई राज्यों ने पाबंदियों को जारी रखा। होटल, परिवहन और शिक्षा क्षेत्रों पर लगातार पाबंदी से पुनरूद्धार संभावना प्रभावित हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि ‘लॉकडाउन’ के कारण लाखों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा और कंपनियों पर असर पड़ा।

महामारी से पहले ही ही अर्थव्यवस्था में नरमी दिख रही थी। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट से नये कर्ज पर असर पड़ा और इसका प्रभाव खपत पर पड़ा। जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में धीमी पड़कर 4.2 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2018-19 में 6.1 प्रतिशत और 2017-18 में 7 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बयान में कहा, ‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की पहली तिमाही में 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था। यानी इसमें 23.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ है जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।’ बयान के अनुसार, ‘कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के इरादे से 25 मार्च से लोगों की आवाजाही समेत गैर-जरूरी आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी लगायी गयी।’

इसमें कहा गया है, ‘हालांकि पाबंदी को धीरे- धीरे हटाया गया है, लेकिन उसका असर आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ आंकड़ा संग्रह व्यवस्था पर भी पड़ा।’ बयान के अनुसार सांविधिक रिटर्न जमा करने की समयसीमा को ज्यादातर नियामकीय संगठनों से आगे बढ़ाया है।

एनएसओ (NSO) ने कहा, ‘ऐसे हालात में सामान्य आंकड़ा स्रोत के बजाए जीएसटी, पेशेवर निकायों से बातचीत आदि जैसे दूसरे विकल्पों का उपयोग किया गया। और ये सब स्पष्ट तौर पर सीमित रही हैं।’

 

 

Priya Tomar
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I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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