नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ ईडी को अहम सबूत मिले हैं। वसूली कांड की जांच कर रही सीबीआई और ईडी की टीम को एनसीपी नेता देशमुख की 18 शेल कंपनियों का पता चला है। इन शेल कंपनियों के जरिये अनिल देशमुख ने करीब दस करोड़ रुपये के ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदला था।
दरअसल मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख के ऊपर बार और रेस्त्रां से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली करने का आरोप लगाया था। इसकी जांच सीबीआई कर रही है, लेकिन इस मामले में करोड़ों की हेरफेर की जांच में प्रवर्तन निदेशाल की बड़ी भूमिका है। इस मामले से जुड़े मनी लॉंड्रिंग की जांच ईडी की टीम कर रही है। इस जांच के दौरान ईडी को कई अहम सबूत मिले हैं। इसमें पिछले दस सालों से अनिल देशमुख के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा है।
ईडी ने इस जांच के दौरान पाया है कि पिछले एक दशक में अनिल देशमुख ने 18 शेल कंपनियां बनाई। इन कंपनियों के माध्यम से ये पैसों की हेराफेरी करते रहे हैं। ईडी ने यह भी खुलासा किया है देशमुख कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए 2013 से सुरेंद्र के जैन और वीरेंद्र जैन की मदद ले रहे थे। ये दोनों भाई हैं और हवाला ऑपरेटर्स हैं।
एक सीए ने ईडी को बताया कि उसने जैन बंधु की मुलाकात देशमुख के बेटे ऋषिकेश से कराई। वह ऐसे किसी व्यक्ति को चाहता था जो परिवार के स्वामित्व वाले श्री साईं शिक्षा संस्थान को कैश के बदले डोनेशन दे। सीए ने बताया कि उसने इस बंदोबस्त में गारंटर और कॉर्डिनेटर की भूमिका निभाई थी।
ईडी के मुताबिक, 2013 से मार्च 2021 के बीच देशमुख के ट्रस्ट में डोनेशन के नाम पर 4 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम ट्रांसफर की गई। जैन बंधु ने उस पैसे को भी व्हाइट बनाने में देशमुख की मदद की जिसे मुंबई पुलिस के तत्कालीन पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने बार के मालिकों से गैर-कानूनी तरीके से वसुले थे।
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जानिए क्या है पूरा मामला
बता दें कि एंटिलिया बम कांड में सचिन वाजे को गिरफ्तार किया गया। इस मामले के साथ-साथ सचिन वाजे से वसूली कांड पर भी पूछताछ की गई। इसमें वाजे ने बताया है कि अनिल देशमुख और अनिल परब को मुंबई पुलिस के कुछ डीसीपी ने ट्रांस्फर-पोस्टिंग के लिए चालीस करोड़ रुपये दिए थे। इसमें बीस करोड़ रुपये देशमुख और बीस करोड़ रुपये परब को दिए गए थे।
इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय इस बात का भी खुलासा किया कि देशमुख का परिवार कई कंपनियों का प्रबंधन कर रहा था। इन्हें करीबियों के जरिये चलाया जाता था। इन सभी कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए होता था। इसके लिए लेनदेन का बेहद जटिल जाल फैलाया गया था। हाल में ईडी ने देशमुख के नियंत्रण वाले ट्रस्ट और उसके दो स्टाफर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें उसने बताया है कि देशमुख के स्वामित्व वाली फर्म जोडिएक डीलकॉम प्राइवेट ने करीब एक दशक पहले 18 शेल कंपनियों से फर्जी शेयर कैपिटल के जरिये 9.8 करोड़ रुपये जुटाए। इस रकम के एक हिस्से का इस्तेमाल दो कंपनियों में वेयरहाउसिंग बिजनेस स्थापित करने के लिए किया गया।