नई दिल्ली। जब से कृषि कानून आया है तब से किसानों के बीच अलग अलग विचार देखने को मिल रहें है। कुछ किसान इस कानून के पक्ष में है तो कुछ किसान इस कानून के विपक्ष में है। जहां एक तरफ टीकरी वॉर्डर पर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे है वही दूसरी तरफ टीकरी गांव के किसान शांत है। टिकरी गांव के किसानों को लगता है ये सब किसी की चाल है, किसानों को किसी ने भड़काया है।
टीकरी गांव और टीकरी वॉर्डर
कृषि कानून को लेकर जहां एक तरफ पंजाब से आए हुए किसानों ने पिछले कई दिनों से टीकरी वॉर्डर पर डेरा डाल रखा है। वही दूसरी तरफ बात करें अगर टीकरी गांव की तो वहां पर कृषि कानून के पक्ष में है किसान।
टीकरी गांव के किसीनों से बात- चीत के दौरान पता चला कि उनको इस धरना की वजह से परेशानी हो रही है क्योंकि उनके गांव से आने जाने वाला रास्ता बंद है। हरियाणा से सटे दिल्ली के इस गांव के लोग तब से परेशान हैं जबसे टीकरी बार्डर पर आवाजाही बाधित है। इस गांव के अधिकांश लोग छोटी- बड़ी खरीददारी के लिए हरियाणा के बहादुरगढ़ का रुख करते हैं।
टीकरी गांव के किसानों का कहना है कि टीकरी बॉर्डर के बजाय पंजाब के किसानों को बुराड़ी मैदान जाना चाहिए जहां सरकार ने उन्हें ठहरने की जगह दी है। यहां के किसान यह भी मानते हैं कि जो किसान बॉर्डर पर हैं, उन्हें केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के बारे में पता नहीं है, वे केवल किसी के भड़काए जाने के कारण विरोध कर रहे हैं।
गांव के लोगों का कहना है कि पहले कोरोना महामारी के कारण यहां रहने वाले मजदूर अपने गांव चले गए थे। अब जब वे लौटकर वापस आए हैं तो यहां की फैक्ट्रियां कच्चे माल के बिना बंद पड़ी हैं। अब दोबारा उनके सामने रोजी- रोटी का खतरा है। दिक्कत हो रही है इस गांव के किसानों और मजदुरों को जब से वॉर्डर पर धरना चल रहा है।