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Saturday, June 1, 2024

Titu Ambani Review : अच्छे कॉन्सेप्ट के बावजूद कमजोर पड़ी फिल्म, जानिए क्या रहा खास और किसने बिगाड़ा काम!

फिल्म : टीटू अंबानी
स्टारकास्ट : तुषार पांडे, दीपिका सिंह, वीरेंद्र सक्सेना, रघुवीर यादव और बिजेंद्र काला
डायरेक्टर : रोहित राज गोयल
रेटिंग : 2/5

नई दिल्ली। सिल्वर स्क्रीन पर अक्सर हम कई तरह की कहानियां देखते हैं जिससे कभी हम रिलेट कर पाते हैं और कभी नहीं। इस शुक्रवार जो फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है उससे हर मिडिल क्लास इंसान आसानी से खुद को रिलेट कर सकता है। जी हां, इस फिल्म का नाम है ‘टीटू अंबानी’ जिसमें तुषार पांडे और दीपिका सिंह मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। इनके साथ-साथ फिल्म को अपनी बेहतरीन अदाकारी से सजाया है वीरेंद्र सक्सेना, रघुवीर यादव और बिजेंद्र काला ने। इस फिल्म को डायरेक्ट किया है रोहित राज गोयल ने। अगर आप भी इस फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ें ये मूवी रिव्यू (Titu Ambani movie review in hindi)।

कहानी
फिल्म ‘टीटू अंबानी’ की कहानी शुक्ला परिवार के ईर्द-गिर्द घूमती है जहां शुक्लाजी चाहते हैं कि उनका बेटा टीटू (तुषार पांडे) अच्छी सी नौकरी करे। लेकिन दूसरी तरफ टीटू नौकरी नहीं बल्कि अपना खुद का बिजनेस करना चाहता है। शुक्ला जी बहुत कोशिश करते हैं कि टीटू को समझाएं लेकिन टीटू अपनी कहानी खुद लिखना चाहता है। वहीं फिल्म में दिखता है टीटू की लव लाइफ का एंगल। टीटू का प्यार है बिजली विभाग में काम करने वाली मौसमी (दीपिका सिंह) जो चाहती है कि जल्दी से उसकी और टीटू की शादी हो जाए, लेकिन टीटू शादी से पहले बड़ा आदमी बनना चाहता है। अब ये सात फेरे टीटू के सपनों और हकीकत के बीच कैसे आते हैं और टीटू आगे क्या करता है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

एक्टिंग
फिल्म की स्टारकास्ट की एक्टिंग की बात करें तो टीटू का किरदार निभा रहे अभिनेता तुषार पांडे ने पूरी कोशिश की है कि वो अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से निभा पाएं लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि स्क्रिप्ट में ही उनके किरदार को कमजोर कर दिया गया है। वहीं दीपिका सिंह की बात करें तो की ये उनकी पहली फिल्म है और उनकी ये शुरुआत अच्छी हुई है। लेकिन तुषार और दीपिका के बीच की केमिस्ट्री पर्दे पर नजर नहीं आती है। फिल्म में रघुबीर यादव और वीरेंद्र सक्सेना को-स्टार्स के रूप में नजर आते हैं जो अपने किरदारों को पर्दे पर पूरी तरह जी रहे हैं।

डायरेक्शन
फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो वो कमजोर पड़ता हुआ नजर आया है। फिल्म की कहानी दर्शकों को खुद की तरफ खींचने में कामयाब नहीं हो पाती है। फिल्म का विषय अच्छा है और फिल्म अहम मुद्दे पर रोशनी भी डालती है लेकिन इसे इतनी आसान तरह से दिखाया गया है कि दर्शक आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि आगे क्या होने वाला है। सीधे तौर पर कहें तो इस कहानी को और बेहतर तरीके से दिखाया जा सकता था।

देखें या ना देखें
हालांकि फिल्म पर्दे पर थोड़ी कमजोर नजर आती है लेकिन ये फिल्म को थोड़ा हंसाती भी है और थोड़ा समझाती भी है। अगर आप एक हल्की फिल्म देखना चाहते हैं तो ये एक ऑप्शन हो सकती है।

 

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