नई दिल्ली। नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Kisan Andolan) पिछले करीब दो महीने से जारी है। सरकार और किसान के बीच अभी तक 9 राउंड की बैठक हुई है, सारे बैठक बेनतीजा रहा है। वहीं उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति के प्रमुख सदस्य अनिल घनवट ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न हितधारकों से कृषि कानून पर बातचीत करने के दौरान समिति के सदस्य अपनी निजी राय को हावी नहीं होने देंगे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं। यहां हुई समिति की पहली बैठक के बाद घनवट ने कहा कि किसानों और अन्य हितधारकों के साथ पहली बैठक बृहस्पतिवार को प्रस्तावित है।
किसानों को दिल्ली में एंट्री मिले या नहीं-पुलिस करेगी तय, 20 जनवरी को फिर सुनवाई: SC
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को लगाई थी रोक
उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी। इन कानूनों के खिलाफ किसान संगठन लगभग 3 महीनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के मकसद से उच्चतम न्यायालय ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया था।
शीर्ष अदालत ने घनवट के अलावा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि-अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी को इस समिति का सदस्य बनाया है। मान ने हालांकि खुद को इस समिति से अलग कर लिया है। समिति कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले किसानों का पक्ष सुनकर दो महीने के भीतर शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।