नई दिल्ली: दिल्ली का कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज दिल्ली हिंसा (Delhi Riots) के पहले मामले में फ़ैसला सुनाया है। कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगा भड़काने और लूटपाट के मामले में आरोपी सुरेश उर्फ भटूरा को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि “आरोपी की पहचान स्थापित नहीं हो सकी। गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं।” आरोपी सुरेश को सभी आरोपों से बरी किया गया। दिल्ली दंगे से जुड़ा यह पहला मामला है, जिसमें अदालत ने फैसला सुनाया है। हिंसा से जुड़े कई अन्य मामलों में सुनवाई जारी है।
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दंगा भड़काने का लगा आरोप
बता दें कि सुरेश पर दंगा भड़काने, भीड़ का हिस्सा बनने, लूटपाट करने का आरोप था। उसे IPC की धारा 143, 147, 427, 454 और 395 के तहत आरोपी बनाया गया था। सुरेश नाम के शख़्स पर 25 फ़रवरी 2020 को बाबतपुर इलाक़े में आसिफ़ नाम शख़्स की दुकान में घुसकर लूटपाट करने का आरोप था। आरोपी सुरेश ने दंगाइयों की भीड़ के साथ मिलकर कथित तौर पर 25 फरवरी, 2020 की शाम को बाबरपुर रोड पर स्थित एक दुकान का ताला तोड़कर लूटपाट की थी।
10 महीने बिताए थे जेल में
पुलिस के मुताबिक, हिंसा के दौरान जिस दुकान में लूटपाट की गई उसके मालिक भगत सिंह ने दुकान को आसिफ को किराये पर दिया हुआ था जोकि इस मामले में शिकायतकर्ता है। जांच के दौरान सिंह ने पुलिस को बताया था कि ”दंगाई गुस्से में थे और इस दुकान को लूटना चाहते थे क्योंकि यह एक मुसलमान की थी और उन्होंने भीड़ को रोकने का प्रयास लेकिन असफल रहे।” बाद में सिंह और हेड कांस्टेबल सुनील ने दंगाइयों में शामिल रहने के तौर पर सुरेश की पहचान की थी। सुनील इलाके के बीट कांस्टेबल थे। सुरेश को सात अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और मंडोली जेल में 10 महीने बिताने के बाद उन्हें 25 फरवरी 2021 को जमानत मिली थी।
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बता दे पिछले साल फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।