नई दिल्ली। इस साल देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस खास मौके पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का ऐलान किया गया है। इस मौके को और भी खास बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने भी पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा’ पहल की शुरुआत की है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने खुद आगे बढ़ते हुए सभी देशवासियों से अपील की है कि सभी अपने सोशल मीडिया की डीपी में देश का तिरंगा लगाएं।
लेकिन क्या आपको पता है कि आजाद भारत का पहला तिरंगा कब और कहां तैयार किया गया था और इसे किसने तैयार किया था? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं भारत के तिरंगे से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो शायद ही आपको पता हैं।
मेरठ में तैयार किया गया था देश का पहला तिरंगा
भारत की शान यानी कि आजाद देश का तिरंगा पहली बार मेरठ में तैयार किया गया था। इसे मेरठ के सुभाष नगर निवासी नत्थे सिंह ने तैयार किया था। आपको बता दें कि असल में तिरंगे की रूपरेखा को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था लेकिन पहले राष्ट्रध्वज को यूपी के मेरठ में नत्थे सिंह ने अपने हाथों से बनाया था।
जिस साल नित्थे सिंह ने देश के पहले तिरंगे को तैयार किया था उस साल उनकी उम्र करीबन 22 साल थी। देश के पहले तिरंगे को तैयार करने के साथ ही नत्थे सिंह ने तिरंगा बनाने के काम को ही अपने जीवन का उद्देश्य भी बना लिया था। इस काम में उनका साथ दिया उनके पूरे परिवार ने और इस तरह वो अपने पूरे परिवार के साथ इस काम में जुट गए। नित्थे सिंह अपनी पूरी जिंदगी इस काम में लगे रहे और फिर साल 2019 में उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
नत्थे सिंह का परिवार आज भी बनाता है तिरंगा
देश का पहला तिरंगा बनाने वाले नत्थे सिंह के निधन के बाद अब उनका बेटा रमेश चंद अपने परिवार के साथ मिलकर तिरंगा बनाने का काम करता है। रमेश के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं जो तिरंगा बनाने में उनका हाथ बंटाती हैं।
नत्थे सिंह बताते हैं कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि देश आजाद होने के बाद संसद भवन में मीटिंग हुई और मेरठ के क्षेत्रीय गांधी आश्रम को देश का पहला तिरंगा बनाने की जिम्मेदारी दी गई। क्षेत्रीय गांधी आश्रम ने आजाद भारत के पहले राष्ट्रध्वज को तैयार करने की जिम्मेदारी नत्थे सिंह को दी।
पड़ोसी से तेल मांगकर जलाया गया था लालटेन और फिर…
रमेश आगे बताते हैं कि जिस वक्त नत्थे सिंह को आजाद भारत का पहला तिरंगा बनाने की जिम्मेदारी दी गई, उस वक्त उनके घर में बिजली नहीं हुआ करती थी। इतना ही नहीं, रमेश बताते हैं कि उन दिनों उनके घर में लालटेन जलाने के लिए पर्याप्त तेल तक नहीं होता था। स्थिति को देखते हुए नत्थे सिंह ने पड़ोसियों से तेल मांगा और लालटेन जलाकर देश का पहला तिरंगा बनाने का काम शुरू किया।
रमेश का मानना है कि उस दिन से आज तक, मेरठ में तिरंगा बनाने का काम फला-फूला है और चाहे सरकारी कार्यालय हो या फिर प्राइवेट संस्थान, हर जगह आज भी सिर्फ मेरठ का ही बना तिरंगा फहराया जाता है। यही वजह है कि आज भी देश में मेरठ के बने तिरंगे की काफी डिमांड रहती है।