नई दिल्ली। मोटापा आज के वक्त में बहुत बड़ी समस्या बन गया है। जहां एक तरफ बाहार का खाना पीना और दूसरी तरफ व्यस्तता भरी जिंदगी। ऐसे कितने ही लोग है जिनके पास वक्त ही नहीं है, तो ऐसे में सेहत खराब होते हुए वस देखते रहते है। और कितने ऐसे लोग है जिनका मोटापा बढ़ जाता है तो सही डाइट और रोज़ाना वर्कआउट के बावजूद आपका वज़न कम होने का नाम नहीं ले रहा।
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तो ऐसे लोगों के लिए मोटापा कम करने के एक समाधान दूसरा भी है, वो है नीद। अगर आप कई कोशिशों के बाद भी वज़न घटाने में असमर्थ हैं, तो इस बात की उम्मीद ज़्यादा है कि आपकी नींद पूरी नहीं हो पा रही है। अगर आप पर्याप्त नींद लें तो आप वज़न बढ़ाने से बच सकते है और आने वाले समय में वज़न घटा भी सकते हैं। तो चालिए बताते है कुछ ऐसे ही जरुरी बातें।
पहले तो हम आपको बता दे कि “महिलाओं में कम नींद और वजन बढ़ने के बीच संबंध” नाम से शोध हो चुका है। अमेरिका के एक शोध के दौरान 16 सालों तक 60,000 ऐेसे नर्सों पर अध्ययन किया गया जो मोटापे से ग्रस्त नहीं थीं। आखिर में, उन्होंने पाया कि जो नर्सें हर रात पांच या उससे कम घंटे सोती थीं, उनमें रोज़ाना 7 या उससे ज़्यादा घंटे सोने वाली नर्सों की तुलना में मोटे होने की संभावना 15 प्रतिशत अधिक थी।
इसके अलावा नींद और भूख का भी संबध है। भूख के हार्मोन लेप्टिन और घ्रेलिन मुख्य रूप से नींद के दौरान बनते हैं। नींद की कमी इन दो प्रमुख हार्मोन के कामकाज को चुरा लेती है, जो भूख और तृप्ति के मार्कर हैं, जो आपको बताते हैं कि कब खाना है और कब रुकना है। जब आपको भूख लगती हैं और आप खाना खाना चाहते हैं, तो उस वक्त घ्रेलिन हार्मोन रिलीज़ होता है।
और होता है कि फिर जब तक आपके पेट में खाना नहीं चला जाता, तब तक घ्रेलिन की मात्रा बढ़ी हुई ही रहती है। जब आप खा लेते हैं, तब फैट सेल्स से लेप्टिन नाम का हार्मोन रिलीज़ होता है, जो भूख को दबा देता है और आपके दिमाग़ को संकेत भेजता है कि आपका पेट भर गया है। लेकिन जब आपकी नींद पूरी नहीं होती, तो इन दोनों हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है और आपके खाने पर कंट्रोल नहीं रहता।
इसीलिए ऐसा माना जाता है कि जब आप सोते हैं, तब आपका शरीर खुद की मरम्मत करता है। सोते समय मांसपेशियों और ऊतकों के टूट-फूट की मरम्मत हो जाती है। जब आप अपेक्षित घंटे नहीं सो रहे होते हैं, तो आपका थका हुआ शरीर मरम्मत नहीं कर पाता है। नतीजतन, आपकी मांसपेशियां कमज़ोर और दुबली हो जाती हैं। जिसकी वजह से आप व्यायाम या वॉक करने जैसी चीज़ें के लिए कमज़ोर महसूस करती हैं।
वहीं एक दूसरे शोध में ऐसा भी कहा गया है कि कम सोने से डायबिटीज का भी खतरा बढ़ता है। अध्ययन में पाया गया कि खराब नींद कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बनने का कारण बन सकती है। जब आप खा लेते हैं और पाचन प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तब रक्त शर्करा को अवशोषित कर लेता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्तप्रवाह से चीनी को आपके शरीर की कोशिकाओं में ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए ले जाता है।