नई दिल्ली। शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने (Hijab Controversy) को लेकर जारी विवाद के बीच, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। इसके साथ ही हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद है मामले उच्च न्यायालय अगले सप्ताह की शुरुआत में अपना फैसला सुना सकता है। हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपनी अंतिम दलीलें रखीं। जिनके आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला तय किया है।
Corona Pandemic : देश में कोरोना के 13166 नए मामले दर्ज, 302 लोगों की मौत
फाइनल इनपुट अगले दो दिन में लिखित
हालांकि, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी को अपनी अंतिम दलीलें (Hijab Controversy) यानी फाइनल इनपुट अगले दो दिन में लिखित में देने को कहा है। इससे पहले पीठ ने सभी दलीलें शुक्रवार तक खत्म करने के लिए कहा था, ताकि मामले का निस्तारण जल्द से जल्द किया जा सके।
सुनवाई में उठा अनुच्छेद-25 और हिजाब अनिवार्यता का मुद्दा
हाईकोर्ट में गुरुवार की सुनवाई के दौरान अनुच्छेद-25 के दायरे तथा व्यापकता और उसमें दखल की गुजाइंश पर भी बहस हुई। इसके साथ ही मजहबी परंपराओं में हिजाब की अनिवार्यता पर भी सवाल-जवाब हुए। याचिकाकर्ताओं के वकील ने हिजाब पहनने की आदत होने के कारण छूट देने का आग्रह किया तो पीठ ने उनसे पूछा कि किसी संस्थान में जहां एक समान यूनिफॉर्म लागू है, वहां हिजाब की छूट कैसे दे सकते हैं?
हिजाब की मजहबी तौर पर अनिवार्यता साबित करने को भी कहा
पीठ ने याची के वकील को हिजाब की मजहबी तौर पर अनिवार्यता साबित करने को भी कहा था। पीठ ने कहा कि हम हिजाब पर प्रतिबंध की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन मौलिक अधिकार के नाम पर जो हक आप मांग रहे हैं, उसकी बात कर रहे हैं।
फैसले तक परीक्षाओं को टालने की भी हुई मांग
वहीं, कक्षाओं के अंदर हिजाब पहन कर प्रवेश देने पर लगी रोक के बीच कई छात्राएं स्कूल-कॉलेज नहीं जा रही हैं। वे हिजाब के साथ ही पढ़ने देने पर अड़ी हुई हैं। इस बीच, राज्य के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में प्रायोगिक परीक्षाएं भी शुरू हो रही हैं। ऐसे में मुस्लिम छात्राओं के एक समूह ने प्रायोगिक परीक्षाओं को टालने की मांग को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।