नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन (Malaria Vaccine) को मंजूरी दे दी है। यह बच्चों के लिए होगी। इस मलेरिया रोकथाम की दिशा में विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेश टेड्रोस ए. घेब्रेयसस ने प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि यह एक ऐतिहासिक दिन है। मलेरिया से हर साल लाखों की संख्या में बच्चों की मौत होती है। यह वैक्सीन बच्चों के लिए जीवन रक्षक साबित होगी। घेब्रेयसस खुद भी मलेरिया शोधकर्ता रहे हैं।
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2019 में शुरू हुआ था ट्रायल
आरटीएस एसएएस01 मलेरिया वैक्सीन (Malaria Vaccine) के ट्रायल के लिए एक पायलट प्रोग्राम 2019 से ही घाना, केन्या और मलावी में चल रहा था।
हर साल 4 लाख बच्चों की मौत होती है मलेरिया से
विश्व के आंकड़ों के मुताबिक हर साल 20 करोड़ बच्चे दुनिया में मलेरिया की चपेट में आते हैं, इनमें से 4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। मरने वाले बच्चों में दो तिहाई की उम्र पांच साल से कम होती है।
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डिमेंशिया और पार्किंसन के मरीजों के लिए भी नई उम्मीद जगी
वैज्ञानिकों ने उस अकेले ब्रेन सेल की पहचान कर ली है, जो दिमाग की सारी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की वजह बनता है। इससे डिमेंशिया और पार्किंसन के मरीजों के उपचार की नई उम्मीद जगी है। यह सेल ही दिमाग वह डिसऑर्डर पैदा करता है, जिससे एक अंतराल से न्यूरोन्स मरने लगते हैं।
वैज्ञानिकों ने पाया है कि एस्ट्रोसाट्स नामक ब्रेन सेल्स ही न्यूरोन्स की मौत में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इन सेल का आकार सितारे जैसा होता है। सिर में चोट लगने पर ये सेल कुदरतीरूप से पैदा होते हैं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहों के सिर बनने वाले एस्ट्रोसाइट्स फेटी एसिड उत्पन्न करते हैं, जो न्यूरोन्स को नष्ट करने लगता है। शोध टीम के प्रमुख डॉ. शेन लिडलो के अनुसार एस्ट्रोसाइटेस की भूमिका का पता लगने के बाद इसके दिमाग की बीमारियों के उपचार का रास्ता भी मिलने की उम्मीद जगी है।