नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी के बीच पांच राज्यों-पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो गया। चुनाव काफी हंगामे भरे रहे, खासकर बंगाल की बात करें तो। लेकिन इस बीच देश में मीडिया की रिपोर्टिंग को लेकर अलग ही विवाद छिड़ गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के नसीहत के बाद चुनाव आयोग ने स्वीकारा की मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोका जाना चाहिए।
चुनाव आयोग और उसके प्रत्येक सदस्य अतीत और वर्तमान में देश में चुनावी लोकतंत्र को मजबूत करने में और सभी चुनावों के संचालन में मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका को स्वीकार करते हैं। आयोग एकमत है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए: चुनाव आयोग pic.twitter.com/MuXeEX7ciL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 5, 2021
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के नसीहत के बाद आज चुनाव आयोग ने इसे स्वीकारा और बुधवार को एक प्रेस नोट जारी करके कहा चुनाव आयोग और उसके प्रत्येक सदस्य अतीत और वर्तमान में देश में चुनावी लोकतंत्र को मजबूत करने में और सभी चुनावों के संचालन में मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका को स्वीकार करते हैं। आयोग एकमत है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
यह भी पढ़ें:क्या देश में फिर से लग सकता है लॉकडाउन,जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिए निर्देश
क्या है पूरा मामला
कोरोना काल के बीच विधानसभा चुनाव कराने जाने के मामले में सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की थी कि चुनाव आयोग के कारण ही पांच राज्यों में संक्रमण फैला है। ऐसे में क्यों न अफसरों पर हत्या का केस दर्ज हो। इसके बाद इस खबर को मीडिया ने बड़ी प्रमुखता से पब्लिश किया था। मीडिया द्वारा खबर दिखाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने इस पर आपत्ति ली थी। वो हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था। इस दौरान चुनाव आयोग ने कहा था कि पिछले कुछ समय से कोर्ट की खबरों को दिखाया जा रहा है। उससे संवैधानिक संस्था पर सवाल खड़े होने लगे। इससे चुनाव आयोग की छवि को धक्का पहुंचा है।