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Thursday, April 25, 2024

तो जल्द समंदर में दफ़न होगा चीन का निरंकुश अहंकार

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया भारत (India)और ऑस्ट्रेलिया के बीच हिंद महासागर में दो दिनों का संयुक्त युद्धाभ्यास (India-Australia joint Naval Exercise) आज बुधवार 23 सितंबर से शुरु हो रहा है. जिसमें दोनों सेनाएं जटिल नौसैनिक कौशल, विमान विरोधी ड्रिल और हेलिकॉप्टर अभियानों की पूरी रेंज के साथ उतरेंगी.

जून से अब तक यह भारतीय नौसेना (Indian Navy) की चौथी अहम सैन्य ड्रिल है. इससे पहले अमेरिका, जापान और रूस के साथ ऐसा नौसैनिक अभ्यास हो चुका है. इस नौसैनिक अभ्यास में भारत की तरफ INS सहयाद्रि (INS Shayadri) और INS कार्मुक (INS Karmuk) हिस्सा लेंगे. जबकि रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी की ओर से एचएमएएस होबार्ट (HAMS Hobart) इसमें भाग लेगा.

चीन की सेना जमीनी मोर्चे पर पूर्वी लद्दाख (eastern laddakh), देपसांग और अरुणाचल (Arunachal pradesh) में भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करने की तैयारी कर रही है. पाकिस्तान भी चोरी छिपे उसका साथ दे रहा है. लेकिन चीन शायद यह भूल जाता है कि जिस दिन भारत ने चीन को मुश्किल में डालने की बात ठान ली, उसी दिन भारतीय नौसेना चीन की सारी हेकड़ी निकाल देगी. ये अभ्यास चीन को यही सच समझाने के लिए है.

चीन को अकेले सबक सिखा सकती है भारतीय नौसेना
हिंदुस्तान दुनिया का इकलौता देश है. जिसके नाम पर पूरा एक महासागर है. यानी हिंद महासागर (Indian Ocean). लाखों वर्गमील में फैले इस समुद्री इलाके में हिंदस्तान की हुकूमत चलती है. भारतीय नौसेना की अनुमति के बिना इस इलाके में परिंदा भी पंख नहीं मार सकता.यही वो कमजोर नस है, जिसे दबाने से चीन बुरी तरह परेशान हो सकता है.

क्योंकि चीन का समुद्री व्यापार और उसकी तेल सप्लाई का 25 फीसदी इसी इलाके से होता है. यही नहीं चीन को अपना तैयार माल यूरोप और अमेरिका भेजने के लिए भी इस रास्ते की जरुरत होती है. चीन का 40 फीसदी निर्यात इसी रास्ते से होकर गुजरता है. चीन को अंतरराष्ट्रीय सागर में पहुंचने के लिए मलक्का जलडमरुमध्य (strait of Malacca) पार करना होता है.

लेकिन मलक्का जलडमरुमध्य से आगे भारतीय जल क्षेत्र से शुरु हो जाता है. जहां अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों पर भारतीय नौसेना का मज़बूत बेस मौजूद है. जो किसी भी तरह के समुद्री आवागमन को पूरी तरह ठप कर सकता है.

क्या है मलक्का स्ट्रेट का महत्व
मलक्का जलडमरुमध्य से हर साल लगभग 95000 व्यापारिक जहाज गुजरते हैं. जिसमें सबसे ज्यादा चीन के होते हैं. यह लगभग 800 किलोमीटर लंबा जलमार्ग है. जो बेहद संकरा (narrow) है. एक जगह पर तो यह रास्ता सिर्फ 2.8 किलोमीटर चौड़ा और मात्र 84 फुट गहरा है.

Priya Tomar
Priya Tomar
I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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