नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) को पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर (Sri Jagannath Temple) के लिए प्रस्तावित विरासत उप-कानूनों के लिए मसौदा अधिसूचना को वापस लेने का निर्देश दिया। संस्कृति मंत्री पटेल (Prahlad Singh Patel) ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह नोटिफिकेशन चेयरमैन NMA की जानकारी के बगैर जारी किया गया था जिसे तत्काल प्रभाव से वापिस लिया जाता है।
ओड़िसा के सांसदों ने केन्द्रीय मंत्री @dpradhanbjp @pcsarangi @sonal_mansingh @sksingh_de ने भेंट कर पुरी से संबंधित नोटिफिकेशन की सूचना दी ।यह नोटिफिकेशन चेयरमैन @NMANEWDELHI की जानकारी के बगैर जारी किया गया था जिसे तत्काल प्रभाव से वापिस लिया जाता है @PMOIndia @MinOfCultureGoI pic.twitter.com/ROmh7EYX9u
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) February 8, 2021
इससे पहले रविवार को एसजीटीए प्रशासन प्रमुख कृष्ण कुमार ने पत्र के माध्यम से एनएमए (NMA) से आग्रह किया था कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजीटीए) से हैरिटेज बायलॉ के मसौदे को वापस लिया जाए, जो श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर के लिए बनाए गए थे। इस दौरान कृष्ण कुमार ने (NMA) को बड़े पैमाने पर भगवान, भक्तों और सेवायतों के हितों की रक्षा का हवाला देते हुए इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की बात कही थी।
वहीं मुख्यमंत्री ने सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद पहली बार श्री जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया और कहा कि भगवान जगन्नाथ के काम को कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा मैंने कोविड महामारी के समय शांति और समृद्धि के लिए प्रभु से प्रार्थना की। पुरी के लोगों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने श्रीमंदिर के विकास के लिए अपनी जमीनें कुर्बान कर दी हैं। बलिदान बेकार नहीं जाएंगे। भगवान जगन्नाथ के काम को कोई नहीं रोक सकता।
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वहीं सोमवार को भाजपा और बीजद नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से अलग-अलग दिन में मुलाकात की। जिसके बाद मंत्री ने उन्हें सूचित किया कि मसौदा अधिसूचना को वापस ले लिया गया है और इस पर आगे का काम परामर्श के बाद किया जाएगा। पटेल ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘एनएमए के अध्यक्ष की जानकारी के बिना हेरिटेज बायलॉज पर अधिसूचना जारी की गई और इसे तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया।’
ओडिशा के भाजपा सांसदों ने केंद्रीय मंत्री के प्रतिनिधित्व में कहा कि ओडिशा सरकार, श्री जगन्नाथ मंदिर, अनंत वासुदेव और ब्रह्मेश्वर मंदिरों के मंदिर अधिकारियों को कुछ वास्तविक चिंताएं हैं, जिन्हें इस तरह के उपचुनावों को अंतिम रूप देने से पहले संबोधित करने की आवश्यकता है। उक्त ड्राफ्ट उपनियमों का इन मंदिरों के मामलों और प्रशासन पर बहुत अधिक असर हो सकता है। साथ ही मंदिरों के पुजारियों और उनके पुजारियों के हजारों सेवादारों के दैनिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।
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जानें क्या था इस नोटिफिकेशन में
आपको बता दें कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत NMA द्वारा निर्धारित उपनियमों के प्रावधानों के अनुसार, मंदिर के 100 मीटर के दायरे में कोई भी विकास / निर्माण कार्य सरकारी या निजी एजेंसियों द्वारा नहीं किया जा सकता है। पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर और भुवनेश्वर के दो अन्य मंदिरों के लिए उपचुनाव लागू थे। उपचुनावों के अनुसार जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर 100 मीटर (बफर क्षेत्र) और दो अन्य को ‘निषिद्ध क्षेत्र’ घोषित किया था। वहीं 200 मीटर के एरिया को ‘नियंत्रित क्षेत्र’ घोषित किया गया था। जहां निर्माण को लेकर रोक तो नहीं है लेकिन वो एनएमए से स्वीकृत होना चाहिए था।