नई दिल्ली। अफगान मीडिया नेटवर्क (Afghan Media Network) ने तालिबान द्वारा दो पत्रकारों वारेस हसरत और असलम हिजब की गिरफ्तारी (Journalist Arrested) की पुष्टि की है। ईरान इंटरनेशनल न्यूज (Iran International News) के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि दोनों पत्रकार एरियाना टीवी के लिए काम करते हैं। संवाददाता ने ट्विट कर कहा ‘तालिबान ने यह नहीं बताया कि उन्होंने उन्हें क्यों गिरफ्तार किया, लेकिन कल रात एरियाना टीवी के एक कार्यक्रम में एक अतिथि ने तालिबान और उनके व्यवहार की आलोचना की।’
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गिरफ्तारी के कारणों का पता नहीं चल पाया
वहीं अफगानिस्तान में खुले मीडिया का समर्थन करने वाले संगठन द फ्री स्पीच हब ने एक बयान में कहा कि दो पत्रकार असलम हिजब और वारिस हसरत को तालिबान ने सोमवार को गिरफ्तार किया था। अब तक उनकी गिरफ्तारी के कारणों का पता नहीं चल पाया है। इसके अलावा यूरोपीय संघ, एमनेस्टी इंटरनेशनल और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने तालिबान से एरियाना न्यूज के दोनों पत्रकारों के मामले के बारे में जानकारी देने का आह्वान किया है।
मंगलवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि दो पत्रकारों की गिरफ्तारी अन्यायपूर्ण थी. इस्लामिक अमीरात से उन्हें रिहा करने का आह्वान किया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक ट्वीट में कहा कि ‘मीडिया की स्वतंत्रता पर इस तरह के बढ़ते हमले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए एक गंभीर खतरा हैं. तालिबान को बिना शर्त और तुरंत उन्हें रिहा करना चाहिए’.
यूरोपीय संघ के राजदूत की प्रतिक्रिया
वहीं अफगानिस्तान में यूरोपीय संघ के राजदूत एंड्रियास वॉन ब्रांट ने भी पत्रकारों की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट किया कि ‘अभी भी यह समझना मुश्किल है कि आप जिन लोगों को न्याय और बेहतर शासन के लिए काम करने का दावा करते हैं, वे अफगानिस्तान में पारदर्शिता, शासन और न्याय में सुधार के लिए काम करने वाले पत्रकारों का सम्मान क्यों नहीं करते हैं।’
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कई मीडिया संस्थान बंद
आपको बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से कुल 257 मीडिया आउटलेट वित्तीय चुनौतियों और प्रतिबंधों के कारण बंद कर दिए गए हैं। यह जानकारी एक एनजीओ के हवाले से मीडिया रिपोर्ट के जरिये दी गई है।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार बंद आउटलेट में प्रिंट, रेडियो और टीवी स्टेशन भी शामिल हैं। काबुल के तालिबान के हाथों में पड़ने के बाद से 70 प्रतिशत से ज्यादा अफगान मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं या देश छोड़कर चले गए हैं।