नई दिल्ली। अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) के पास 26 अगस्त, 2021 को सीरियल ब्लास्ट हुआ है। एयरपोर्ट के पास बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे और कई लोगों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है। इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए ‘इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत’ (ISIS-K) ने काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। अफगान और अमेरिकी अधिकारियों ने कहा, काबुल एयरपोर्ट के पास 2 आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधारियों ने अफगानों की भीड़ पर किए गए हमले में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई।
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IS से संबद्ध ISIS-K ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक तस्वीर भी साझा की और कहा कि उसने अमेरिकी सैनिकों और उसके अफगान सहयोगियों को निशाना बनाया। आतंकवादी संगठन ने कहा कि यह वही हमलावर है, जिसने हमले को अंजाम दिया. तस्वीर में कथित हमलावर को काले IS झंडे के सामने विस्फोटक बेल्ट के साथ खड़ा देखा जा सकता है, जिसके चेहरे पर एक काला कपड़ा बंधा है और केवल उसकी आंखें दिख रही हैं। बयान में दूसरे आत्मघाती हमलावर या बंदूकधारियों का कोई जिक्र नहीं था।
अफगानिस्तान: काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमला, कई लोगों के घायल होने की खबर
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के लिए सबसे घातक दिनों में से 26 अगस्त, 2021 का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अमेरिका को लेकर तालिबान का रुख चेतावनी भरा रहा है। तालिबान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह काबुल को 31 अगस्त तक खाली कर दें। इस बीच कल देर शाम कुछ ही मिनटों के भीतर दो बड़े धमाके हुए हैं। इन आत्मघाती हमलों में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 90 लोगों की मौत हो गई है।
Watch as I deliver remarks on the terror attack at Hamid Karzai International Airport, and the U.S. service members and Afghan victims killed and wounded. https://t.co/NBv02m3Bpm
— President Biden (@POTUS) August 26, 2021
पहले 21 दिसंबर, 2015 को एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी मोटरसाइकिल को नाटो-अफगान के संयुक्त गश्ती दल में टक्कर मार दी थी, जिसमें 6 अमेरिकी सैनिक मारे गए। यह हमला बगराम एयरफील्ड के पास हुआ था। जब एक गांव से गुजरते समय सैनिकों को निशाना बनाया गया।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने काबुल में हुए हमलों को लेकर कहा है कि वो हमलावरों को पकड़कर उन्हें इसकी सजा देंगे। बाइडेन ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘इस हमले को अंजाम देने वाले और अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखने वाले ध्यान रखें कि हम तुम्हें बख्शेंगे नहीं. हम यह भूलेंगे नहीं। हम तुम्हें पकड़कर इसकी सजा देंगे. मैं अपने देश के हितों और लोगों की रक्षा करूंगा।’
चरमपंथी इस्लामिक स्टेट और तालिबान के बीच ठनी हुई है, क्योंकि IS का मानना है कि अमेरिका के साथ शांति समझौता करना धोखा देने जैसा है।
9 जनवरी, 2002: अफगानिस्तान में सैनिकों को सप्लाई कर रहा एक अमेरिकी सैन्य ईंधन भरने वाला विमान पाकिस्तान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी सात मरीन मारे गए।
23 मार्च, 2003: दक्षिण पूर्वी अफगानिस्तान में 2 घायल अफगान बच्चों की मदद करने के लिए दया मिशन पर अमेरिकी वायु सेना का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी छह लोग मारे गए।
6 अप्रैल, 2005: बगराम में मुख्य अमेरिकी बेस पर लौटते समय अमेरिकी सेना के 15 सदस्य और तीन अमेरिकी नागरिक मारे गए, जब उनका हेलीकॉप्टर रेतीले तूफान में गिर गया।
28 जून 2005: एक स्पेशल फोर्स के हेलीकॉप्टर पर सवार 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए जब उनके एमएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर को विद्रोहियों ने मार गिराया। 3 अमेरिकी नाविकों की भी उसी दिन मौत हुई थी।
5 मई, 2006: पूर्वी अफगानिस्तान में लड़ाकू अभियानों के दौरान सीएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 10 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई थी।
18 फरवरी, 2007: जाबुल प्रांत के शाहजोई जिले में एक अमेरिकी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें आठ अमेरिकी सैनिक मारे थे।
13 जुलाई, 2008: नूरिस्तान के वानत में उनकी दूरस्थ चौकी पर छोटे हथियारों और रॉकेट से चलने वाले हथगोले द्वारा हमला किए जाने पर 9 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। उसी दिन सड़क किनारे बम से टकराने ले काजाकी सोफा में एक और सैनिक की मौत हो जाती है।
3 अक्टूबर, 2009: नूरिस्तान के कामदेश में अमेरिकी पुलिस की चौकी पर 300 से ज्यादा उग्रवादियों द्वारा हमला किए जाने से आठ अमेरिकी सैनिक मारे गए। उसी दिन एक बम विस्फोट के दैरान वर्दाक प्रांत में एक और सैनिक की मौत हो गई, जबकि अमेरिकी सैनिक उस बम को डिफ्यूज करने का प्रयास कर रहा था।
26 अक्टूबर 2009: अलग-अलग हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में 11 अमेरिकी सैनिक मारे गए. पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान में एक हेलिकॉप्टर नीचे गिरा, जिसमें अमेरिकी सरकार के लिए काम कर रहे सात सैनिकों और तीन नागरिकों की मौत हो गई। दक्षिण में एक अलग घटना में, 2 अन्य अमेरिकी हेलिकॉप्टर उड़ान के दौरान टकरा गए, जिसमें 4 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
8 जून, 2010: एक आत्मघाती हमले में 7 अमेरिकी सैनिक, 2 ऑस्ट्रेलियाई और 1 फ्रांसीसी सेनापति की मौत हो गई, हमले में अफगान पुलिस को प्रशिक्षण दे रहे एक अमेरिकी ठेकेदार भी शामिल थे।
27 अगस्त, 2010: दक्षिणी और पूर्वी अफगानिस्तान में घर में बने बमों ने 3अमेरिकी सैनिकों को मार डाला था।
19 अप्रैल, 2011: अफगान वायु सेना मुख्यालय परिसर में एक नियमित बैठक के दौरान एक अफगान अधिकारी ने 8 अमेरिकी वायुसैनिकों और 1 अमेरिकी नागरिक को मार डाला था।
26 मई, 2011: नाटो सेवा के 9 सदस्य मारे गए, जिनमें 7अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं ।ये सैनिक ऐसे क्षेत्र में बम विस्फोट में मारे गए, जहां वे पैदल गश्त कर रहे थे।
6 अगस्त 2011: अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों ने नाटो के एक हेलीकॉप्टर को मार गिराया जिसमें अमेरिकी सेना के 30 जवान और आठ अफगान सैनिक मारे गए। साल 2001 में अफगानिस्तान में युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की अपनी तरह की यह सबसे बड़ी घटना है।
11 मार्च, 2013: दक्षिणी अफगानिस्तान में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 5 अमेरिकी सेवा सदस्यों की मौत हो गई। दो घंटे पहले पूर्वी अफगानिस्तान में 1 अफगान पुलिसकर्मी द्वारा एक अंदरूनी हमले में 2 अमेरिकी विशेष अभियान बलों को मार गिराया गया था।
17 दिसंबर, 2013: एक हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से छह अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई।
2 अक्टूबर 2015: अमेरिकी वायु सेना के C-130J परिवहन विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 6 अमेरिकी सेवा सदस्यों सहित 11 लोग मारे गए।
जर्मनी, नीदरलैंड्स और कनाडा ने हमले से पहले ही अपनी उड़ानों का परिचालन रोक दिया था। तुर्की ने भी बीते 6साल से काबुल एयरपोर्ट पर तैनात अपने सैनिकों को वापस बुलाने का एलान कर दिया था।
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