नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि चुनाव के पहले नागरिकता कानून को लागू करना प्राथमिकता में रहेगा क्योंकि उनकी पार्टी और केंद्र दोनों राज्य की शरणार्थी आबादी की चिंताओं को दूर करना चाहती है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुए बिना मुक्त और पारदर्शी चुनाव संभव नहीं है। हालांकि, भाजपा पांच नवंबर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय दौरे के दौरान शायद यह मुद्दा नहीं उठाएगी।
प्रदेश इकाई बंगाल में हालिया ‘राजनीतिक हत्याओं’ और कुछ पुलिस अधिकारियों के ‘राजनीतिकरण और अपराधीकरण’ पर अपनी शिकायतों से उन्हें अवगत कराएगी। उन्होंने कहा कि ‘फिलहाल राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) कवायद पर चर्चा नहीं होगी।’ इस वक्त भाजपा पड़ोसी देशों से उत्पीड़न के शिकार होकर आए शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहती है।
उन्होंने कहा, ‘हमारी (केंद्र) सरकार ने पड़ोसी देशों में प्रताडि़त होकर आए शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के इरादे से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पारित किया। लेकिन सीएए के खिलाफ अदालत में कुछ याचिकाएं हैं।’
विजयवर्गीय ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि जब (महामारी की) स्थिति सामान्य होगी तो इस पर फैसला होगा। हम पश्चिम बंगाल में चुनाव के पहले सीएए को लागू करने पर प्राथमिकता देंगे।’ सीएए को लागू करने में देरी के कारण बांग्लादेश से राज्य में आए मतुआ समुदाय के लोगों के एक धड़े के बीच बेचैनी बढ़ती जा रही है।
भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने हाल में कहा था कि बंगाल में तुरंत कानून को लागू करने के लिए वह शाह को पत्र लिखेंगे ताकि मतुआ समुदाय को नागरिकता का अधिकार मिले। बांग्लादेश में हिंदुओं के मकानों पर हालिया हमलों का हवाला देते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि उस देश और पाकिस्तान में भी उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की मदद के लिए सीएए को लागू किया गया था।
पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की ‘बिगड़ती’ स्थिति को लेकर बात करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, ‘राष्ट्रपति शासन लगाए बिना अगले साल मुक्त और पारदर्शी विधानसभा चुनाव संभव नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग बिना किसी परेशानी के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर पाएं। क्या पार्टी की प्रदेश इकाई तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री सुवेंदु अधिकारी के साथ संपर्क में है, इस पर विजयवर्गीय ने कहा कि नहीं। सुवेंदु अधिकारी कुछ समय से सत्तारूढ़ दल से दूरी बनाए हुए हैं।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) सुप्रीमो बिमल गुरुंग के तृणमूल कांग्रेस खेमे में जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गोरखा नेता के राजग का साथ छोडऩे के फैसले से बहुत असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ‘समुदाय के एक बड़े हिस्से को लगता है कि उन्होंने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी से हाथ मिलाकर उनके साथ छल किया है।’