नई दिल्ली। साल का वह समय एक बार फिर आ गया है, जब लोगों की सुबह प्रदूषित और दम घुटने वाली हवा के साथ होती है। हाल ही की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, जो दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है, की हवा दोबारा ख़तनाक प्रदूषण से भर रही है। जिसकी वजह से सांस की दिक्कत बढ़ती जा रही है।
हालांकि, ऐसे वक्त पर सांस से जुड़ी तकलीफ शुरू होना, जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी फैली हुई है, काफी ख़तरनाक साबित हो सकता है। इन दोनों के न सिर्फ लक्षण एक सामान हैं, बल्कि एक आम ज़ुकाम भी चिंता पैदा कर देता है। उदाहरण के तौर पर, सूखी खांसी और गले में ख़राश, दो ऐसे लक्षण हैं, जो एलर्जी के साथ प्रदूषण और कोविड-19 में भी देखे जाते हैं।
आज हम बता रहे हैं प्रदूषण और कोरोना वायरस के लक्षणों के बीच अंतर के बारे में:
सुबह उठने पर गले में ख़राश होती है?
एक तरफ गले में ख़राश और सूखी खांसी कोविड-19 के अहम लक्षणों में से एक हैं, लेकिन इस तरह की दिक्कत प्रदूषण की वजह से हुए संक्रमण से भी होती है। मौसम में बदलाव और लगातार बढ़ता प्रदूषण के स्तर की वजह से इस तरह के लक्षण आम बात है, लेकिन कोरोना के दौर में चिंता बढ़ा देते हैं।
कोविड-19 और प्रदूषण के लक्षण में कैसे करें अंतर?
कोविड-19 संक्रमण को जांचने के लिए टेस्ट करना ही इकलौता तरीका है। इसके अलावा लक्षणों पर ध्यान देना ज़रूरी है। कोरोना वायरस में गले की ख़राश के अलावा बुखार, सूंघने की शक्ति और स्वाद न आना अहम लक्षण हैं। वहीं, गला ख़राब होने के अलावा प्रदूषण की वजह से आंखों में संक्रमण, सिर दर्द, ज़ुकाम और नाक का बहना भी लक्षण हैं।
इसके अलावा प्रदूषण से हुआ संक्रमण कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, वहीं कोरोना वायरस का अगर वक्त पर इलाज न हुआ तो वह बीमारी को गंभीर भी बना सकता है।
फिर भी अगर आप सर्दी-ज़ुकाम या खांसी जैसे लक्षण महसूस करते हैं, तो बेहतर यही है कि खुद को आइसोलेट कर लें ताकि आपके परिवार के बाकी लोग सुरक्षित रहें।