नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार के राजनीति गलियारों में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बयान से काफी हलचल देखने को मिल रही है। आपको बता दे कि उन्होंने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री के खिलाफ मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों का जो समय बताया है, उस समय अनिल देशमुख अस्पताल में भर्ती थे और इसलिए उनके इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता। इस मुद्दे पर पवार को लेकर कई सारे सवाल उठ रहे है। परंतु अब इस मामले को लेकर रश्मि शुक्ला का नाम आ रहा है कि उनको सब पता है इस मामले में। ये पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया।
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परमबीर सिंग ने अपनी याचिका में कहा है कि, रश्मि शुक्ला ने कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस बारे में पक्की जानकारी है कि टेलीफोन पर हुई बातचीत सुनने के बाद, तब स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (एसआईडी) की कमिश्नर रहीं रश्मि शुक्ला ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनिल देशमुख की हरकतों की जानकारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को दी थी।
उन्होंने यह बात महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव को बताई। सिंह ने दावा किया कि देशमुख के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय रश्मि को पद से हटा दिया गया। हम आपको बता दे कि आईपीएस रश्मि शुक्ला कोई और नहीं बल्कि परमबीर सिंह दोनों वर्ष 1988 के आईपीएस बैच से हैं।
और फिलहाल तो रश्मि शुक्ला सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) में एडिशनल डायरेक्टर जनरल (एडीजी) हैं। इससे पहले वे डीजी (सिविल डिफेंस) के पद पर थीं। स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (एसआईडी) की कमिश्नर होने के दौरान उन्होंने अनिल देशमुख को लेकर शिकायत की थी। इससे पहले, वे पुणे पुलिस कमिश्नर का पद भी संभाल चुकी हैं।
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गौरतलब है कि पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav thackeray) को लिखे आठ पन्नों के एक पत्र में शनिवार को दावा किया था कि देशमुख चाहते थे कि पुलिस अधिकारी बार और होटलों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करें। परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख (Anil deshmukh) ने मुंबई पुलिस के एपीआई सचिन वाजे को फरवरी में आवास पर बुलाया था और उससे हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था।