नई दिल्ली। बिहार जेडीयू में गुटबाजी चरम पर है, पार्टी में सब ठीक नहीं चल रहा है। ये हम नहीं बोल रहे है बल्कि बिहार की राजनीति में ऐसी चर्चाएं चल रही है। दरअसल मोदी कैबिनेट में पहली बार जेडीयू कोटे से आरसीपी सिंह को मंत्री बनाया गया। मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद पहली बार आरसीपी सिंह बिहार पटना पहुंचे। जहां जेडीयू कार्यकर्ताओं ने उनके लिए स्वागत समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में जेडीयू के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहें, लेकिन JDU के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेन्द्र कुशवाहा इस समारोह से दूरी बना ली।
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समारोह से दूर रहे उपेंद्र कुशवाहा
एक तरफ जहां पटना में RCP सिंह का स्वागत किया जा रहा था। तो वहीं दूसरी तरफ उपेन्द्र कुशवाहा सुबह ही जहानाबाद चले गए। जहानाबाद पहुंचे उपेन्द्र कुशवाहा से जब पत्रकारों ने सवाल पूछा गया कि क्या उन्हें RCP सिंह के स्वागत समारोह की जानकारी नहीं थी। उन्होंने अपने जवाब में कहा-उन्हें पार्टी दफ्तर से फोन या पत्र के जरिए कोई सूचना नहीं दी गई। उन्हें इसकी सूचना पोस्टरों और प्रेस के जरिए ही मिली। हालांकि उपेन्द्र कुशवाहा ने पार्टी में गुटबाजी के आरोपों से इनकार किया है और कहा कि पार्टी में सब एकजुट है।
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पोस्टर से चेहरे गायब
बिहार जेडीयू में पोस्टर के जरिए भी गुटबाजी देखने को मिल रही है। कभी ललन सिंह के स्वागत पोस्टर से RCP सिंह की फ़ोटो गायब रहती है। तो कभी RCP सिंह के पोस्टर से ललन सिंह की। हद तो तब हो गई जब दूसरों को प्रोटोकॉल का पालन करने की नसीहत देने वाले JDU प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने अपने ही पोस्टर में JDU के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेन्द्र कुशवाहा को जगह नहीं दी।
गौरतलब है केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह 16 अगस्त को पटना पहुंचे थे। उनके स्वागत के लिए जेडीयू दफ्तर में जो पोस्टर लगाए गए हैं, उनमें दर्जन भर नेताओं की तस्वीर लगी थी लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा को इनमें जगह नहीं दी गई थी। इससे पहले जब 31 जुलाई को आरसीपी सिंह की जगह नीतीश कुमार ने ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था, उस समय बधाई के पोस्टर से आरसीपी की तस्वीर गायब थी। इसके बाद से से ही जेडीयू में आंतरिक सियासत के गर्म होने की आशंका जताई जाने लगी थी।