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Friday, March 29, 2024

शादी के वादे पर किया गया सेक्स, रेप है या नहीं? HC ने क्या कहा?

भुवनेश्वर। शादी का वादा करके किसी महिला के साथ उसकी सहमति से लंबे समय तक शारीरिक सम्बन्ध रखे जाने को रेप माना जाए या नहीं। ऐसे मामलों के लिए रेप के कानून में और स्पष्टता की जरूरत है। यह टिप्पणी ओडिशा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान आयी। कोर्ट ने कहा है कि जब महिला अपनी मर्जी से रिलेशन में होती है तो उसके लिए बलात्कार को परिभाषित करने वाले कानून में और स्पष्टता की जरूरत है।

ज्ञात हो कि इस मामले में लड़की ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने शादी का वादा करके उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाये। बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के जज एसके पाणिग्रही ने फैसला सुनाया है। इंटीमेट रिलेशंस को संभालने के मामलों में बलात्कार से जुड़ा कानून लागू नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से रिलेशनशिप में होती हैं।

इस मामले पर कानून में आरोपियों की सजा के लिए स्पष्टता का अभाव है। पुलिस ने आरोपी पर पिछले साल भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (1), 313, 294 और 506 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 66 (ई) और 67 (ए) के तहत एक लड़की से बलात्कार के आरोप में मामला दर्ज किया था। लड़की ने मामले में आरोप लगाया है कि आरोपी ने उससे शादी करने का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनये। इस दौरान लड़की दो बार गर्भवती हो गई। आरोपी युवक ने दवा देकर गर्भपात करा दिया।

लड़की ने युवक से उससे शादी करने के लिए कहा था। मगर युवक ने इनकार कर दिया। बाद में युवक ने कथित रूप से लड़की के नाम से बनाई गई फर्जी फेसबुक आईडी का उपयोग करते हुए अपने साथ लड़की की निजी तस्वीरें सोषल मीडिया पर शेयर कर दिया। लड़की के चरित्र पर लांछन लगाया गया था। युवक ने लड़की को धमकी दी थी कि वह उसकी अश्लील तस्वीरें फेसबुक पर वायरल कर देगा। उसने उसे अगवा करने और जान से मारने की भी धमकी दी थी।

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मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस पाणिग्रही ने आरोपी युवक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने पाया कि बलात्कार के कानूनों का उपयोग अंतरंग संबंधों को रेगुलेट करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी पसंद से रिश्ते में जाती हैं। जस्टिस पाणिग्रही ने कहा कि कानून में अच्छी तरह से तय है कि शादी करने के झूठे वादे पर प्राप्त सहमति एक वैध सहमति नहीं है। चूंकि कानून के निर्माताओं ने विशेष रूप से उन परिस्थितियों का उल्लेख किया है।

जब आईपीसी की धारा 375 के संदर्भ में ‘सहमति‘ का मतलब वैध सहमति नहीं होता। यहां शादी का झूठा वाद करके फिजिकल संबंध के लिए सहमति आईपीसी की धारा 375 के तहत उल्लिखित परिस्थितियों में से एक नहीं है। उन्होंने कहा कि शादी के नाम पर फिजिकल रिलेशन रखने को बलात्कार बताने वाला कानून गलत प्रतीत होता है। जज पाणिग्रही ने आगे कहा कि अदालत ने यह भी पाया कि बलात्कार कानून ज्यादातर उन सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई और गरीब पीड़ितों के साथ न्याय नहीं करते, जो पुरुषों के शादी के झूठे वादे में आकर संबंध बनाने के झांसे फंस जाती हैं।

Priya Tomar
Priya Tomar
I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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