नई दिल्ली। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष मंहत नरेन्द्र गिरी (Mahant Narendra Giri Death) की मौत का मामला पूरी तरह से पलट चुका है, ये मामला अब सुसाइड से मर्डर में बदल चुका है। मामले में उनके शिष्य आनंद गिरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है और अब तक इस केस में पुलिस ने हनुमान मंदिर के पुजारी और उनके बेटे सहित 3 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। पुलिस प्रवक्ता ने खुद यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि बंधवा स्थित हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरी की तरफ से देर रात दी गयी तहरीर के आधार पर जार्जटाउन थाने में आनंद गिरी के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। वहीं बताया जा रहा है कि पुलिस जांच में कई अहम सुराग मिले है। उन्होंने बताया कि तहरीर में अमर गिरी ने महंत और उनके शिष्य के बीच विवाद की बात का जिक्र किया है।
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तीन लोगों की गिरफ्तारी से खुला राज
नरेन्द्र गिरि के सुसाइडनोट में अनंद गिरी के अलावा हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी अद्या प्रसाद और उनके बेटे संदीप पर भी परेशान करने का आरोप है। तहरीर में केवल आनंद गिरी पर ही आरोप लगाया गया है। पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में आनंद गिरी को उत्तराखंड पुलिस ने श्यामपुर कांगड़ी में उनके आश्रम से हिरासत में लिया। जबकि रात में ही पुलिस ने मंदिर के मुख्य पुजारी, आद्या प्रसाद उनका बेटा संदीप को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। इस बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने महंत नरेंद्र गिरि मौत मामले की जांच सीबीआई की मांग की है और कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच हो।
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जानिए क्या है मामला
गौरतलब है कि परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी की सोमवार शाम को अल्लापुर स्थित बाघम्बरी गद्दी मठ में संदिग्ध स्थिति में मृत्यु हो गयी थी। उनका शव मठ के कमरे में पंखे से लटका मिला था। मौके से पुलिस को आठ पेज का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, इस सुसाइड नोट में मठ और अखाड़े के उत्तराधिकारियों के नाम लिखे गए हैं। साथ ही सम्मान और अपमान को लेकर भी कुछ बातें लिखी हैं।
खबर के मुताबिक, महंत के शव के पास ही बिस्तर पर सुसाइड नोट पड़ा था। छह पेज के इस सुसाइड नोट में वसीयतनामे से लेकर अन्य कई बातें लिखीं थीं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसमें महंत के सबसे करीबी शिष्य रहे आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी के नाम के साथ लिखा है कि वह इनके व्यवहार से आहत थे।