नई दिल्ली: सियासत में कभी राजा तो कभी उनके किरदार लड़ते हैं। और इस सियासत का वास्तविक ‘दंगल’ तो महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रहा है। जहां PM Modi, केंद्रीय गृहमंत्री ‘Amit Shah’ के राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़ने की कसरत कर रहे मराठा सरदार और NCP के दिग्गज़ ‘शरद पवार’ के बीच में ‘ShivSena’ और ‘Congress’ दोनों फंस गई हैं। Congress के नेता भी मानते हैं कि – NCP के नेता और राज्य सरकार के मंत्री ‘Nawab Malik’, पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, NCB के अधिकारी ‘समीर वानखेड़े’ के बीच चल रही ‘विवाद’ जितनी दिखाई दे रही है, उससे कहीं ज्यादा गहरी दिखाई पड़ रही हैं। इस पुरे मसले पर केंद्रीय मंत्री ‘नारायण राणे’ की टीम के सदस्य भी मुस्करा कर चुप हो जाते हैं।
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महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री ‘अनिल देशमुख’ इस दंगल के भेंट चढ़ चुके हैं। पूर्व गृहमंत्री ‘देशमुख’ महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के वफादार नेताओं में हैं। ‘शरद पवार’ ने उन्हें आरोपों के मकड़जाल से लेकर जांच एजेंसियों के प्रकोप से बचाने की हर संभव प्रयास की।किन्तु, सफल नहीं हो पाए। अनिल देशमुख के बाद शरद पवार के भतीजे ‘अजीत पवार’ पर जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
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आने वाली कुछ ऐसी ही विसंगतियों से बचने के लिए महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ‘नवाब मलिक’ ने मोर्चा खोल रखा है। ‘नवाब मलिक’ इस समय जो भी कुछ कर रहे हैं, उसकी डिजाइन से शरद पवार और उद्धव ठाकरे पूरी तरह परिचित हैं। जीतकर निकले तो ‘एनसीपी’ शेर और अगर मुंह की खानी पड़ी तो ‘शरद पवार’ की मुश्किलें भी बढ़ना तय है। ‘अनिल दुबे’ महाराष्ट्र और खासकर मुंबई बीजेपी की राजनीति में गहरी रुचि लेते हैं। वह कहते हैं कि – अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ‘नवाब मलिक’ आखिर इतना खुलकर कैसे बोल रहे हैं? क्या शरद पवार या फिर उद्धव ठाकरे को कुछ भी पता नहीं है?
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‘देवेन्द्र फडणवीस’ ने हाल के मामलों में देर से प्रतिक्रिया दी, वहीं मुख्यमंत्री ‘उद्धव ठाकरे’ बहुत संभल – संभल कर चल रहे हैं। कोई तो कारण है? कांग्रेसी नेता का कहना है कि ‘2019’ में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे। तब से अब तक कई बार एनसीपी के और बीजेपी के साथ जाने और राज्य में नई सरकार के गठन की चर्चा और अफवाह दोनों खूब उठी। लेकिन, राजनीतिक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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