नई दिल्ली। हिंदु समाज का एक खास त्यौहार है मकर संक्रांति , हर कोई बड़े धूम-धाम से इस त्यौहार को मनाता है। आज के दिन कई लोग गंगा स्नान करते है, कुछ कुछ लोग दान और धर्म करते है। कहते है आज के दिन धर्म और आस्था के लिए बहुत ही शुभ मना जाता है। खानें को लेकर भी लोगों की मकर संक्रांति से कई रीति-रिवाज जुड़ी हुई है। तो चलिए हम आपको बताते है मकर संक्रांति इससे जुड़ी कुछ खास बातें।
मकर संक्रांति विशेष पर्व
हमारे बड़े और धर्म के अनुसार पूरे साल में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण मानी गईं हैं। आज के दिन कई सारे धर्मों और पुराणों में विशेष बताया गया है, जिसमें कहा जाता है कि कर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं एवं इसी मार्ग से पुण्यात्माएं शरीर छोड़कर स्वर्ग आदि लोकों में प्रवेश करती हैं।
दान औऱ गंगा स्नान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन दान करने से सारे दोष दूर हो जाते है, बताया गया है कि इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, उसमें सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नहीं रुक सकता। मकर संक्रांति पर सूर्य -शनि की साधना और इनसे सम्बंधित दान करने से सारे शनिजनित दोष दूर हो जाते हैं।
आज के दिन गंगा स्नान का भी महत्व कुछ इसी तरह है, बताया जाता है कि भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान की थी, इसीलिए इस दिन बंगाल में गंगासागर तीर्थ में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है।
खाने का भी महत्व है कुछ खास
गुण. मुंगफली और तिल के साथ कई सारे लोग आज के दिन खा कर मनाते है। बैसे तो हर त्यौहार पर अलग -अलग खाने का अपना ही एक खास नजरियां औऱ प्रथा शमिल है। कई लोग तो आज के दिन नास्ते में मुगदाल के पकोड़े भी बनातें है। इस तरह से मकारसंक्राति हिंदु धर्म का एक खास दिन के रुप में मनाया जाता है।
खास मंदिर पर सूर्य की पहली किरण
आज के दिन सूर्य मंदिर में सूर्य की पहली किरण, मंदिर के गुंबद से होते हुए भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ती है। प्राचीन ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार मंदिर की रचना की गई है. मंदिर में प्रवेश करते समय सात सीढ़ियां हैं जो सात वार का प्रतीक हैं। पूरे देश में इस मंदिर की अपनी मन्यता है और यहां पर आज के दिन कई लोग आते है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में है।