नई दिल्ली। युवाओं को शिक्षा, देश की रक्षा। इस टैग लाइन के साथ ही मिशन 2022 के लिए वेस्ट यूपी में भाजपा का चुनावी दौरा अलीगढ़ से शुरू हो गया है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी का कार्यक्रम कई मायनों में खास है। किसान महापंचायत से जाटों के जुड़ने के चलते जहां राजा महेन्द्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी के शिलान्यास से जाटों को साधने की कवायद हुई। वहीं डिफेंस कॉरीडोर के शिलान्यास से उद्योग को बढ़ावा देने व रोजगार के अवसर देने का संदेश दिया गया। योगी सरकार के द्वारा साढ़े चार साल में हुए विकास कार्य व रोजगार का डाटा जुटाया जा रहा है। इससे साफ है कि चुनाव में विकास-रोजगार के मुद्दों पर भाजपा मैदान में उतरेगी।
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राजा महेंद्र प्रताप सिंह थे कौन
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आख़िर राजा महेंद्र प्रताप सिंह थे कौन और उनका जाट समाज के लिए क्या योगदान रहा है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले के मुरसान रियासत के राजा थे। जाट परिवार से निकले राजा महेंद्र प्रताप सिंह की शख़्सियत के कई रंग थे। वे अपने इलाक़े के काफ़ी पढ़े-लिखे शख़्स तो थे ही, लेखक और पत्रकार की भूमिका भी उन्होंने निभाई। पहले विश्वयुद्ध के दौरान अफ़ग़ानिस्तान जाकर उन्होंने भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई, वो निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति थे।
एक दिसंबर, 1915 को राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफ़ग़ानिस्तान में पहली निर्वासित सरकार की घोषणा की थी। निर्वासित सरकार का मतलब यह है कि अंग्रेज़ों के शासन के दौरान स्वतंत्र भारतीय सरकार की घोषणा। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने जो काम किया था, वही काम बाद में सुभाष चंद्र बोस ने किया था, इस लिहाज़ से देखें तो दोनों में समानता दिखती है। जवाहर लाल नेहरू की विदेश नीति में जर्मनी और जापान मित्र देश नहीं रहे थे और राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने इन देशों से मदद माँगकर आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी। ऐसे में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को कांग्रेस में बहुत ज़्यादा तरजीह नहीं मिली।
बहरहाल, 1957 में वे मथुरा से चुनाव लड़े और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने जीत हासिल की। उस चुनाव में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस के चौधरी दिगंबर सिंह को क़रीब 30 हज़ार वोटों से हराया था। राजनीतिक तौर पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह की बहुत बड़ी पहचान भले नहीं बन पायी हो लेकिन एक ऐसे समाजसेवी के तौर पर ज़रूर बन गई थी जो शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए लगातार धन संपदा दान देते रहे। राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी खोले जाने के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लगातार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की चर्चा भी हो रही है।
यह भी बताया जा रहा है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने ज़मीन दान दी थी और यूनिवर्सिटी कैंपस में उनके योगदान का कहीं ज़िक्र नहीं है। इस यूनिवर्सिटी के शिलान्यास कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलीगढ़ पहुँचने और इस यूनिवर्सिटी को खोले जाने को लेकर राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी उन लोगों को सम्मान देने का काम कर रही है जिन्हें पिछली सरकारों में भुला दिया गया।
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UP में जाटों को खुश करेगी BJP
पीएम मोदी के कार्यक्रम के यूपी के चुनावी सियासत से भी जोड़कर देखे जा रहे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा किसान आंदोलन को लेकर भाजपा का जाटों को स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास कर साधने का है। योगी सरकार ने जाट राजा चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर 2019 के उपचुनाव में यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी। जो अब पूरा होने जा रही है। पश्चिमी यूपी में जाट आबादी का बाहुल्य है। ऐसे में किसान नेता राकेश टिकैत द्वारा बीते दिनों मुजफ्फरनगर में की गई किसान महापंचायत की धार को कम करने के लिए भी पीएम का यह दौरा बेहद अहम है।