नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Mission 2022 UP) में न केवल पार्टी संगठन को मजबूत कर रही है बल्कि, सहयोगी पार्टियों के बिखराव को भी रोकने की कोशिश कर रही है। ऐसी ही एक पार्टी अपना दल है, अपना दल (एस) के साथ भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन है। अनुप्रिया पटेल को एक बार फिर मोदी कैबिनेट में जगह भी दी गई है। लेकिन, इसका दूसरा धड़ा अपना दल (के) के साथ भाजपा का गठबंधन नहीं है। क्योंकि, पटेल परिवार में विवाद के कारण मां और बेटी के बीच दूरियां बढ़ गई थी और दोनों एक साथ किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं कर सकती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के पटेल वोटर का भी बिखराव हो रहा है।
हालांकि, इसके बावजूद भाजपा ने दोनों लोकसभा चुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन, इस बार की चुनौती कुछ अलग है, इसके कारण भाजपा चाहती है कि अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मां और बेटी के बीच सुलह हो जाए। ताकि, विपक्षी पार्टियों को कृष्णा पटेल के साथ गठबंधन करने का मौका न मिल पाए।
Mission-2022 UP: उत्तर प्रदेश चुनाव में मुस्लिम कार्ड खेलने की तैयारी में कांग्रेस
क्या फिर से एक होगा अपना दल?
अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मां और बेटी के बीच सुलह के लिए भाजपा ने प्रयास शुरू कर दिया है। इसके लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सबसे पहले अनुप्रिया पटेल के साथ बातचीत की। अनुप्रिया पटेल को इसके लिए तैयार किया गया कि वो अपनी मां कृष्णा पटेल के साथ समझौता करें। इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने अपनी मां कृष्णा पटेल के पास एक प्रस्ताव भेजा है। अनुप्रिया पटेल ने अपनी मां को कहा है कि वह अपने पति आशीष पटेल को एमएलसी पद से इस्तीफा के लिए राजी करेगी और फिर इस सीट के ऊपर कृष्णा पटेल को एमएलसी बनाया जाएगा। इसके साथ ही एमएलसी बनने के बाद कृष्णा पटेल को योगी कैबिनेट में शामिल किए जाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। हालांकि, अभी इस प्रस्ताव में एक पेंच फंसा हुआ है। क्योंकि, अनुप्रिया पटेल को लगता है कि उनकी मां के साथ रिश्ते खराब करने में उनकी बहन पल्लवी पटेल के परिवार का हाथ है।
DELHI: बरिश में Kejriwal की दिल्ली हो गई पानी-पानी, टूटे 10 साल पुराने रिकॉर्ड
ऐसे बढ़ी पटेल परिवार के बीच दूरियां
दरअसल, अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल के 2009 में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। इसके बाद पार्टी की कमान अनुप्रिया पटेल को मिली। अनुप्रिया ने 2012 में यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन किया और मिर्जापुर से सांसद बनी। इसी के साथ अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में जगह भी दी गई। लेकिन, उनकी मां कृष्णा पटेल ने इस बीच उनकी बनह पल्लवी पटेल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया, जिसके बाद परिवार में परेशानी शुरू हो गई और अनुप्रिया पटेल ने अपने पिता सोनेलाल पटेल के नाम पर अपना दल (सोनेलाल) का गठन किया। जिसके बाद मां और बेटी के बीच का रिश्ता खराब चल रहा है। कृष्णा पटेल ने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की तैयारी कर रही है।
Taliban का दावा, कब्जे में Panjshir, जानिए क्या है पूरा मामला?
भाजपा नेतृत्व ने दी सहमति
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले दो हिस्सों में बंटे अपना दल (Apna Dal) में एकता की कोशिशें शुरू हो गई हैं। भाजपा को लगता है कि विधानसभा चुनाव में पटेल वोटरों के बंटवारे को रोकने के लिए अनुप्रिया और कृष्णा के बीच सुलह होना जरूरी है। इससे यूपी के कुर्मी वोटर भाजपा गठबंधन के साथ आएंगे और इससे पार्टी को फायदा होगा। दूसरी ओर अनुप्रिया और कृष्णा पटेल को भी इससे फायदा होने वाला है।
कृष्णा पटेल को एमएलसी के साथ-साथ मंत्री बनाया जाएगा और अपना दल को गठबंधन में ज्यादा सीटों के ऊपर दावा करने का मौका मिल जाएगा। इसी वजह से भाजपा ने पटेल परिवार को एक करने की कोशिश की है, जिसके लिए अनुप्रिया पटेल से प्रस्ताव तैयार कराया गया है। अगर सहमति बन जाती है, तो यूपी चुनाव से पहले पटेल परिवार एक हो जाएगा, जिसका भाजपा और अपना दल को फायदा होगा।