नई दिल्ली। कोरोना वायरस की भयावह तबाही के बाद एक बार फिर से देश एक नई बीमारी के खौफ में जी रहा है। इस नई बीमारी का नाम है Monkeypox जो दुनिया के 71 देशों में फैलने के बाद अब भारत में भी दस्तक दे चुका है। जी हां, केरल में अब तक दो मरीज मंकीपॉक्स से संक्रमित पाए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक ये दोनों ही शख्स विदेश से लौटे थे और लक्षण दिखने के बाद उसका सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जांच के लिए भेज दिया गया जिसके बाद इस बीमारी की पुष्टि हुई। आईए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी हर एक जानकारी।
ये हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
एक्सपर्ट्स की मानें तो मंकीपॉक्स वैरियोला वायरस फैमिली (Variola Virus) का हिस्सा है जिसमें चेचक आता है और यही वजह है कि इसके लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं। वैसे तो इसका इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है लेकिन कई बार ये बढ़कर 5 से 21 दिन तक भी हो सकता है। एक राहत ही बात ये है कि बहुत ही कम मामलों में मंकीपॉक्स घातक साबित होता है। आइए जानते हैं मंकीपॉक्स के वो कौन-कौन से लक्षण हैं जिनसे आप इस बीमारी को पहचान सकते हैं।
– तेज सिर दर्द होना, बुखार आना, पीठ में दर्द होना, सूजन आना, मांसपेशियों में दर्द होना और थकान होना।
– बुखार आने के एक से तीन दिन बाद शरीर पर दाने निकलना। ये दाने चेहरे, हाथ-पैर, हथेलियों और पैरों के तलवे पर निकल सकते हैं। आपको बता दें, शरीर पर निकलने वाले ये दाने घाव की तरह होते हैं जो खुद से ही सूखकर झड़ भी जाते हैं।
– एक और लक्षण जो इस बीमारी की ओर इशारा करता है वो ये है कि शरीर पर निकलने वाले इन दानों की गिनती कुछ से शुरू होकर हजारों में जा सकती है। इतना ही नहीं, संक्रमण अगर गंभीर रूप ले लेता है तो ये दाने तभी ठीक होते हैं जब संक्रमित व्यक्ति की स्किन ढीली हो जाती है।
जानिए कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
– मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर के खून, पसीना, उसके किसी तरल पदार्थ या फिर घाव से संपर्क में आने से ये वायरस फैलता है।
– कम पका हुआ मांस या फिर संक्रमित जानवर के एनिमल प्रोडक्ट का सेवन करने से भी वायरस फैलता है।
– संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या फिर उसे छूने से भी ये वायरस फैलता है।
– संक्रमित मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को भी मंकीपॉक्स हो सकता है।
– संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।
– इतना ही नहीं, संक्रमित व्यक्ति को गले लगाने, किस करने या फिर उससे फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट में आने से भी ये वायरस फैल सकता है।
जानिए क्या है इलाज
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज अब तक सामने नहीं आया है। मौजूदा समय में इसके इलाज के लिए चेचक की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कि इस बीमारी पर 85% कारगर है।