नई दिल्ली। म्यांमार (Myanmar) में सेना द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद अब दिव व दिन पाबंदिया बढ़ती ही जा रही है। म्यांमार के सैन्य अधिकारियों ने अब सोशल मीडिया पर पाबंदीयां (Social Media Ban) बढ़ाते हुए ट्विटर और इंस्ट्राग्राम के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है। वहीं देश की सबसे बड़े शहर यंगून की बात करें तो वहां के लोग बरतन और प्लास्टिक बोतलें बजाकर सैन्य तख्तापलट के प्रति विरोध जताया है।
मिली जानकारी के अनुसार सेना ने म्यांमार में पाबंदी लगाते हुए शुक्रवार को फेसबुक, ट्विटर, और इंस्टाग्राम के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि कुछ लोग इन प्लेटफॉर्मों पर फर्जी खबरें फैलाकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए सोशल मीडिया इन सेवाओं को बंद करने का आदेश दिया गया है।
बता दें कि 1 फरवरी को पड़ोसी देश म्यांमार को सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया है। सेना के स्वामित्व वाले मयावाडी टीवी ने 1 फरवरी की सुबह इसकी घोषणा की। 1 फरवरी यानि सोमवार सुबह के दिन म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्जा किया और देश की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति यू विन म्यिंट और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस समय सेना द्वारा म्यांमार में संचार ब्लैकआउट किया गया है, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ब्रॉडकास्टर्स ऑफ एयर हैं, इंटरनेट और फोन सेवाएं भी निलंबित हैं।
म्यांमार में तख्तापलट, सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया
तख्तापलट के बाद कई देशों ने भी जताई चिंता
वहीं इस सूचना के बाद भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने इन खबरों पर चिंता व्यक्त की है और म्यामांर की सेना से कानून के शासन का सम्मान करने का अनुरोध किया है। अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने एक बयान में कहा कि वह और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन म्यांमार के घटनाक्रमों से अवगत हैं। उन्होंने कहा, म्यामां में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण को नजरअंदाज कर सेना के तख्तापलट की खबर से अमेरिका चिंतित है।
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अमेरिका ने दी कड़ी चेतावनी
अमेरिका हालिया चुनाव के नतीजों को पलटने के प्रयास या लोकतांत्रिक तरीके से म्यांमार में सत्ता के हस्तांतरण को रोकने के कदम का विरोध करता है। अगर इन कदमों को पलटा नहीं गया तो अमेरिका इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पेने ने सू ची एवं हिरासत में बंद अन्य लोगों की रिहाई का आह्वान किया। उन्होंने कहा, हम नवंबर 2020 में हुए आम चुनाव के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीके से देश की संसद नेशनल असेंबली के सत्र की शुरुआत का समर्थन करते हैं। म्यांमार के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे।
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जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि सूची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था, लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सूची (75) देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं।
सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया, हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था। इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया। वहीं कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानूनों को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा।