नई दिल्ली। म्यांमार (Myanmar) में सेना द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद से हर दिन कोई न कोई बड़ी घटना हो रही है। इसी कड़ी में आज म्यांमार में प्रदर्शनकारियों के हड़ताल के आह्वान के खिलाफ जुंटा की कार्रवाई की धमकी के बावजूद हजारों लोग यांगून में अमेरिकी दूतावास (American embassy) के पास एकत्रित हो गए।
म्यांमार में तख्तापलट, सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया
आपको बता दें कि म्यांमार में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए आंग सान सू ची समेत कई प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया था। तख्तापलट के खिलाफ कई शहरों में लोग विभिन्न प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन कर रहे हैं। कई सड़कों के बंद होने के बावजूद हजारों प्रदर्शनकारी यांगून में अमेरिकी दूतावास के पास एकत्रित हो गए। साथ ही सेना के 20 ट्रक और दंगा रोकने वाली पुलिस भी वहां पहुंच गई है।
मिली जानकारी के अनुसार सिविल डिसोबीडीअन्स मूवमेंट ने लोगों से सोमवार को हड़ताल करने का आह्वान किया है। वहीं, सरकारी प्रसारक ‘एमआरटीवी’ पर जुंटा ने रविवार देर रात हड़ताल के खिलाफ कार्रवाई करने की आधिकारिक घोषणा की। पूर्व में प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा का जिक्र करते हुए सेना ने प्रदर्शनकारियों में आपराधिक गिरोह के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस वजह से ही ‘‘सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। प्रदर्शन में अभी तक तीन लोगों की मौत हुई है।
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क्या है पूरा मामला
बता दें कि 1 फरवरी को पड़ोसी देश म्यांमार को सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया है। सेना के स्वामित्व वाले मयावाडी टीवी ने 1 फरवरी की सुबह इसकी घोषणा की। 1 फरवरी यानि सोमवार सुबह के दिन म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्जा किया और देश की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति यू विन म्यिंट और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस समय सेना द्वारा म्यांमार में संचार ब्लैकआउट किया गया है, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ब्रॉडकास्टर्स ऑफ एयर हैं, इंटरनेट और फोन सेवाएं भी निलंबित हैं।