नई दिल्ली। ओडिशा में निजी स्कूलों के फीस माफ करने से संबन्धित मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। हालांकि इस बीच कुछ निजी स्कूल की तरफ से दायर किए गए पिटीशन को अस्वीकर करने के साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है। एक सप्ताह के अन्दर सरकार को अपना पक्ष हाईकोर्ट के सामने रखना होगा।
गौरतलब है कि कोरोना के समय निजी स्कूल फीस माफ करने को ओडिशा अभिभावक महासंघ की तरफ से हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया था। इसकी सुनवाई कर हाईकोर्ट ने राज्य जन शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक रखने के लिए निर्देश जारी किया था। उस बैठक में अभिभावक संघ एवं स्कूल शिक्षक संघ के अधिकारी शामिल हुए थे। फीस माफ कितनी फीसदी की जा सकती है, उस पर विस्तार से चर्चा की गई थी।
इस बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक शून्य से 6 हजार सालाना स्कूल फीस देने वाले अभिभावकों को किसी भी तरह छूट नहीं मिलेगी। हालांकि सालाना 6 से 12 हजार रुपये तक एक बच्चे से फिस लेने वाले की फीस 7.5 प्रतिशत, 12 से 24 हजार तक एक बच्चे से फीस लेने वालों से 12 प्रतिशत, 72 से 1 लाख रुपये तक एक बच्चे से फीस लेने वालों से 25 प्रतिशत तथा एक बच्चे से सालाना 1 लाख रुपये से अधिक फीस लेने वालों की फीस 26 प्रतिशत कम करने की कमेटी की तरफ से सिफारिश की गई थी।
बैठक में लिए गए इस निर्णय की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल किया गया था। इसके बावजूद सोमवार को सुनवाई के दौरान कुछ अभिभावक ने हाईकोर्ट में एंटरवेंशन पिटीशन (पक्ष बनने के लिए) दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है और आगे किसी भी तरह का एंटरवेंशन पिटीशन स्वीकार ना करने की बात स्पष्ट कर दिया है। इसके साथ ही फीस संबन्धित मामले को लेकर निजी स्कूल के ऊपर सरकार का कितना नियंत्रण है, उसके ऊपर स्पष्ट पक्ष सत्यपाठ के जरिए रखने के लिए सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है।