नई दिल्ली। संसद में तमाम विपक्षी पार्टियों (कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक) ने लोकसभा में मोदी सरकार (Modi Sarakar) पर ‘बहुमत के बाहुबल’ के जरिये किसानों, कृषि सहित कई मुद्दों पर अपनी बात थोपने का आरोप लगाया। जबकि सरकार से किसानों से बातचीत करके विवादित कृषि कानूनों से जुड़े मामले का समाधान निकालने की अपील की। वहीं भाजपा ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार संसद के माध्यम से नए भारत की नींव रख रहे हैं।
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सत्तारूढ़ पार्टी ने बताई सरकार की उपलब्धियां
सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने, नोटबंदी लागू करने, जीएसटी लागू करने, तीन तलाक कहकर संबंध तोड़ने की कुप्रथा को समाप्त करने जैसे बड़े कदम उठाये हैं, वहीं कोरोना वायरस महामारी के दौर में भी बहुत काम किया है।
भाजपा सांसद ने राज्य में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की शह पर भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या किये जाने, खास वर्ग का तुष्टीकरण करने, 30 प्रतिशत वोटों की राजनीति करने और भगवान राम-सीता का अपमान करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाल की जनता इसका जवाब देगी। भाजपा के ही सांसद वीरेंद्र कुमार ने कहा कि कोरोना की वैश्विक महामारी के संकट से निपटने में सरकार, वैज्ञानिकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने मुख्य भूमिका निभाई। देश के लोगों ने भी इस संकट का मजबूती से मुकाबला किया।
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विपक्ष ने लगाएं ‘बहुमत का बाहुबल’ का आरोप
लोकसभा में सत्तारूढ़ पार्टी ने जहां अपनी उपलब्धियां बताई तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप एक तरफ मुसलमान और दूसरी तरफ किसान के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। इतना ही नहीं अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया, संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हजारों किसान दो महीने से बैठे हैं। 200 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। प्रधानमंत्री को किसानों के साथ बातचीत करने की फुर्सत नहीं है क्या? इतना अहंकार क्यों है? किसानों की स्थिति को दयनीय बताते हुए उन्होंने सरकार से कहा, आप बहुमत का बाहुबल बंद करिए।
चौधरी ने सरकार पर किसानों के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया, साथ ही बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले कथित तौर पर जानकारी लीक होने और गणतंत्र दिवस पर कुछ उपद्रवी तत्वों के लाल किले में घुसने एवं धार्मिक ध्वज लगाने से जुड़े घटनाक्रम की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की।
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वहीं चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार पर ‘कायरता को साहस के रूप में परिभाषित’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून लाना, अर्थव्यवस्था की स्थिति, बहुमत के बल पर तीन कृषि कानून लाना इसके उदाहरण हैं।