नई दिल्ली। पूर्व ओलंपियन पद्मश्री मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया। मिल्खा सिंह से कोरोना संक्रमित होने के बाद करीब एक महीने से जूझ रहे। फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर मे मशहूर मिल्खा सिंह 19 मई को कोरोना संक्रमित मिले थे। इसके बाद Fortis मोहाली में भर्ती रहे। परिजनों के आग्रह पर अस्पताल में छुट्टी लेकर सेक्टर-8 स्थित आवास पर ही इलाज करा रहे थे।
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91 साल के मिल्खा सिंह को कोरोना संक्रमित होने के बाद चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार की शाम उनकी तबियत काफ़ी बिगड़ गई और काफ़ी कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। मिल्खा सिंह की पत्नी की निधन इसी हफ्ते ही हुआ जिसमे मिल्खा सिंह अपनी पत्नी के दाह संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके थे क्योंकि वे खुद भी आईसीयू (ICU) में भर्ती थे। चंडीगढ़ के PGI अस्पताल में भर्ती किया गया था।
Punjab: Visuals from the residence of former sprinter Milkha Singh in Chandigarh.
Milkha Singh, widely regarded as Flying Sikh, passed away last night & his wife Nirmal Kaur died on June 13 pic.twitter.com/7UdwUFeYHQ
— ANI (@ANI) June 19, 2021
मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार आज शाम 5 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए आज 3 बजे उनका पार्थिव शरीर उनके सेक्टर 8 सिथित घर पर रखा जाएगा।
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मिल्खा सिंह की उपलब्धियां:
- मिल्खा सिंह ने 4 बार एशियन गेम्स में और 1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था।
- 1960 में रोम में 400 मीटर की दौड़ में शानदार प्रदर्शन के लिए जाना जाता था।
- 1956 और 1964 के ओलंपिक खेलों में देश की नुमाइंदगी की थी
- 1959 में उन्हें पद्म श्री के ख़िताब से नवाज़ा गया था।
भारतीय खेल में मिल्खा सिंह का नाम सबसे ऊपर की लिस्ट में लिखा जाएगा। वह देश के पहले ट्रैंक ऐंड फील्ड सुपर स्टार थे। मिल्खा सिंह के करियर का सबसे खास लम्हा तब आया जब वह 1960 के रोम ओलिंपिक में वह सेकंड के 100वें हिस्से से पदक से चूक गए थे।
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मिल्खा सिंह जीवनी:-
भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिल्खा सिंह ने अपने माँ बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से भारत आए। ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी। एक होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने २००मी और ४००मी की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे ४००मी के विश्व कीर्तिमान धारक भी रहे।
कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में १९५८ के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा।
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उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन बचपन की घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन न जाने पर राजनैतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार लिया। दौड़ में मिलखा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया और आसानी से जीत गए। अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशीन औरतों ने भी इस महान धावक को गुज़रते देखने के लिए अपने नक़ाब उतार लिए थे, तभी से उन्हें फ़्लाइंग सिख की उपाधि मिली।
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फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने वर्ष 2013 में इनपर भाग मिल्खा भाग नामक फिल्म बनायी। ये फिल्म बहुत चर्चित रही। फ्लाईंग सिख के उपनाम से चर्चित मिलखा सिंह देश में होने वाले विविध तरह के खेल आयोजनों में शिरकत करते हैं। हैदराबाद में 30 नवंबर,2014 को हुए 10 किलोमीटर के जियो मैराथन-2014 को उन्होंने झंड़ा दिखाकर रवाना किया।
BTV भारत की तरफ से ऐसे महान व्यक्तित्य को श्रद्धांजलि।